शब्द का अर्थ
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					ईहा					 :
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					स्त्री० [सं० ईह् (इच्छा करना)+अ-टाप्] १. इच्छा। अभिलाषा। २. उद्योग। चेष्टा। प्रयत्न। ३. लोभ। (डिं०)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ईहा					 :
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					स्त्री० [सं० ईह् (इच्छा करना)+अ-टाप्] १. इच्छा। अभिलाषा। २. उद्योग। चेष्टा। प्रयत्न। ३. लोभ। (डिं०)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ईहामृग					 :
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					पुं० [सं० ईहा√मृग (ढूँढ़ना)+अण्] चार अंकोंवाला एक प्रकार का रूपक जिसमें नायक और नायिका देवता और देवी होते है और जिसमें मुख्यतः नायिका की वीरता के दृश्य होते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ईहामृग					 :
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					पुं० [सं० ईहा√मृग (ढूँढ़ना)+अण्] चार अंकोंवाला एक प्रकार का रूपक जिसमें नायक और नायिका देवता और देवी होते है और जिसमें मुख्यतः नायिका की वीरता के दृश्य होते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |