शब्द का अर्थ
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					उपचार					 :
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					पुं० [सं० उप√चर्+घञ्] [वि० औपचारिक] १. किसी के पास रहकर, सेवा आदि के द्वारा उसे सुखी और संतुष्ट करना। २. उत्तम आचरण और व्यवहार। ३. रोगी के पास रहकर उसे अच्छे करने के लिए किये जानेवाले कार्य। जैसे—चिकित्सा, सेवा-शश्रूषा आदि। ४. लोक-व्यवहार में ऐसा आचरण या काम जो आवश्यक, उचित और प्रशस्त होने पर भी केवल दिखाने अथवा नियम, परिपाटी आदि का पालन करने के लिए किया जाय। (फाँरमैलिटी) ५. रसायन, वैद्यक आदि के क्षेत्रों में, वह क्रिया या प्रक्रिया जो कोई चीज ठीक या शुद्ध करके उसे काम में लाने के योग्य बनाने के समय की जाती है। (ट्रीटमेण्ट) जैसे—औषधियों, धातुओं आदि का उपचार। ६. धार्मिक क्षेत्र में, (क) पूजन के अंग और विधान। आवाहन, मधुपर्क, नैवेद्य परिक्रमा, वन्दना आदि। (ख) छूआछूत का विचार। ७. तान्त्रिक क्षेत्र में, किसी विशिष्ट उद्देश्य की सिद्धि के लिए किया जानेवाला कोई अनुष्ठान या कृत्य। अभिचार। जैसे—उच्चाटन, मारण, मोहन आदि। ८. खुशामद। चाटुता। ९. घूस। रिश्वत। १. व्याकरण में एक प्रकार की संधि जिसमें विसर्ग के स्थान पर श या स हो जाता है। जैसे—निःचल से निश्चल या निःसार से निस्सार। ११. दे० उपचरण। (आदर-सत्कार )				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उपचार					 :
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					पुं० [सं० उप√चर्+घञ्] [वि० औपचारिक] १. किसी के पास रहकर, सेवा आदि के द्वारा उसे सुखी और संतुष्ट करना। २. उत्तम आचरण और व्यवहार। ३. रोगी के पास रहकर उसे अच्छे करने के लिए किये जानेवाले कार्य। जैसे—चिकित्सा, सेवा-शश्रूषा आदि। ४. लोक-व्यवहार में ऐसा आचरण या काम जो आवश्यक, उचित और प्रशस्त होने पर भी केवल दिखाने अथवा नियम, परिपाटी आदि का पालन करने के लिए किया जाय। (फाँरमैलिटी) ५. रसायन, वैद्यक आदि के क्षेत्रों में, वह क्रिया या प्रक्रिया जो कोई चीज ठीक या शुद्ध करके उसे काम में लाने के योग्य बनाने के समय की जाती है। (ट्रीटमेण्ट) जैसे—औषधियों, धातुओं आदि का उपचार। ६. धार्मिक क्षेत्र में, (क) पूजन के अंग और विधान। आवाहन, मधुपर्क, नैवेद्य परिक्रमा, वन्दना आदि। (ख) छूआछूत का विचार। ७. तान्त्रिक क्षेत्र में, किसी विशिष्ट उद्देश्य की सिद्धि के लिए किया जानेवाला कोई अनुष्ठान या कृत्य। अभिचार। जैसे—उच्चाटन, मारण, मोहन आदि। ८. खुशामद। चाटुता। ९. घूस। रिश्वत। १. व्याकरण में एक प्रकार की संधि जिसमें विसर्ग के स्थान पर श या स हो जाता है। जैसे—निःचल से निश्चल या निःसार से निस्सार। ११. दे० उपचरण। (आदर-सत्कार )				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					उपचार-च्छल					 :
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					पुं० [सं० तृ० त०] तर्क या न्याय में, किसी की कही हुई बात का अभिप्रेत, ठीक या प्रासंगिक अर्थ छोड़कर केवल तंग करने के लिए अपनी ओर से किसी नये या भिन्न अर्थ की कल्पना करके उस बात में दोष निकालना। जैसे—यदि कोई कहे-‘ये नवद्वीप से आये हैं’। तो यह कहना-‘वाह ये जिस द्वीप से आये है, वह नया कैसे हैं’।				 | 
			
			
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					उपचार-च्छल					 :
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					पुं० [सं० तृ० त०] तर्क या न्याय में, किसी की कही हुई बात का अभिप्रेत, ठीक या प्रासंगिक अर्थ छोड़कर केवल तंग करने के लिए अपनी ओर से किसी नये या भिन्न अर्थ की कल्पना करके उस बात में दोष निकालना। जैसे—यदि कोई कहे-‘ये नवद्वीप से आये हैं’। तो यह कहना-‘वाह ये जिस द्वीप से आये है, वह नया कैसे हैं’।				 | 
			
			
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					उपचारक					 :
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					वि० [सं० उप√चर्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० उपचारिका] १. उपचार करनेवाला। २. चिकित्सा और सेवा-शुक्षूषा करनेवाला। ३. विधान करने या बतलानेवाला।				 | 
			
			
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					उपचारक					 :
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					वि० [सं० उप√चर्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० उपचारिका] १. उपचार करनेवाला। २. चिकित्सा और सेवा-शुक्षूषा करनेवाला। ३. विधान करने या बतलानेवाला।				 | 
			
			
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					उपचारना					 :
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					स० [सं० उपचार] १. रोगी का उपचार या सेवा-शुक्षूषा करना। २. अनुष्ठान या विधान करना। ३. औपचारिक रूप से कोई काम करना। ४. आदर-सम्मान या पूजन करना। उदाहरण—भरत हमहिं उपचार न थोरा।—तुलसी।				 | 
			
			
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					उपचारना					 :
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					स० [सं० उपचार] १. रोगी का उपचार या सेवा-शुक्षूषा करना। २. अनुष्ठान या विधान करना। ३. औपचारिक रूप से कोई काम करना। ४. आदर-सम्मान या पूजन करना। उदाहरण—भरत हमहिं उपचार न थोरा।—तुलसी।				 | 
			
			
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					उपचारात्					 :
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					क्रि० वि० [सं० विभक्ति प्रतिरूपक अव्यय] १. नियम, परिपाटी आदि के पालन के रूप में। २. केवल दिखावे या रसम आदा करने के रूप में। (फॉर्मली)।				 | 
			
			
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					उपचारात्					 :
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					क्रि० वि० [सं० विभक्ति प्रतिरूपक अव्यय] १. नियम, परिपाटी आदि के पालन के रूप में। २. केवल दिखावे या रसम आदा करने के रूप में। (फॉर्मली)।				 | 
			
			
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					उपचारी (रिन्)					 :
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					वि० [सं० उप√चर्+णिनि] १. उपचार अर्थात् चिकित्सा तथा सेवा-शुक्षूषा करनेवाला। २. (काम) जो औपचारिक रूप से किया जाय।				 | 
			
			
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					उपचारी (रिन्)					 :
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					वि० [सं० उप√चर्+णिनि] १. उपचार अर्थात् चिकित्सा तथा सेवा-शुक्षूषा करनेवाला। २. (काम) जो औपचारिक रूप से किया जाय।				 | 
			
			
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					उपचार्य					 :
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					वि० [सं० उप√चर्+ण्यत्] (रोग या रोगी) जिसका उपचार होने को हो या किया जा सके। पुं० चिकित्सा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उपचार्य					 :
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					वि० [सं० उप√चर्+ण्यत्] (रोग या रोगी) जिसका उपचार होने को हो या किया जा सके। पुं० चिकित्सा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |