शब्द का अर्थ
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					कंदर					 :
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					पुं० [सं० कम्√दृ (विदारण)+अप्] १. कदरा। (दे०)। २. अंकुश।				 | 
			
			
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					कंदरा					 :
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					स्त्री० [सं० कंदर+टाप्] जमीन के अंदर या पहाड़ में खोदा हुआ अथवा प्राकृतिक रूप से बना हुआ बहुत बड़ा गड्ढा। गुफा। खोह।				 | 
			
			
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					कंदराना					 :
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					अ० [हिं० कंदरी] कीचड़ की तरह गंदा और मैला होना। स० गंदा या मैला करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कँदरी					 :
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					स्त्री० [सं० कर्दम] १. कीचड़। २. इमारत के काम के लिए सड़ाकर कूटा हुआ चूना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कंदर्प					 :
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					पुं० [सं० कम्√दृप् (मत्त होना)+अच्] १. कामदेव। २. संगीत में रुद्राताल का एक प्रकार या भेद।				 | 
			
			
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					कंदर्प-कूप					 :
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					पुं० [ष० त०] योनि।				 | 
			
			
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					कंदर्प-दहन					 :
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					पुं० [ष० त०] शिव।				 | 
			
			
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					कंदर्प-मथन					 :
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					पुं० =कंदर्प-दहन।				 | 
			
			
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