शब्द का अर्थ
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					गात					 :
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					पुं० [सं० गात्र, पा० गत्त] १. देह। शरीर। २. स्त्रियों का यौवनकाल। मुहावरा–गात उमगना=यौवन का आगमन या आरंभ होने पर बालिका के स्तन उभरना। ३. पुरूष या स्त्री का गुप्त अंग। ४. गर्भ। मुहावरा-गात से होना=गर्भवती होना।				 | 
			
			
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					गातलीन					 :
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					स्त्री० [सं० गाटलिन] जहाज में वह डोरी जो मस्तूल के ऊपर चरखी मे लगी रहती और रीगिन उठाने में काम आती है।				 | 
			
			
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					गातव्य					 :
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					वि० [सं०√गै (गाना)+तव्यत्] गाने अथवा गाये जाने के योग्य।				 | 
			
			
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					गाता(तृ)					 :
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					वि० [सं०√गै+तृच्] गानेवाला। पुं०=गत्ता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गातानुगतिक					 :
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					वि० [सं० गतानुगत+ठक्-इक] गतानुगति या अंध अनुसरण के रूप में होनेवाला।				 | 
			
			
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					गाती					 :
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					स्त्री० [सं० गात्री] १. बच्चों को सरदी से बचाने के लिए उनके शरीर पर लपेटकर गले में बाँधा जानेवाला छोटा कपड़ा। २. उक्त प्रकार से शरीर के चारों ओर चादर लपेटने का ढंग या प्रकार। ३. कपड़े का वह टुकड़ा जो लोग अपने गुप्त अंग ढकने के लिए कमर में लपेट कर उसके दोनों लिरे गले में बाँधते है।				 | 
			
			
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					गातु					 :
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					पुं० [सं०√गै+तुन्] १. गाने की क्रिया या भाव। गाना। २. गानेवाला। गायक। ३. गंधर्व। ४. कोयल। ५. भौरा। ६. पतिक। बटोही। ७. पृथ्वी।				 | 
			
			
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					गात्र					 :
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					पुं० [सं०√गम् (जाना)+त्रन्, आकार आदेश] १. देह। शरीर। २. हाथी के अगले पैरों का ऊपरी भाग।				 | 
			
			
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					गात्र-भंगा					 :
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					स्त्री० [ब० स० टाप्] केवाँच। कौंछ।				 | 
			
			
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					गात्र-रुह्					 :
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					पुं० [गात्रे√रूह् (जन्म लेना)+क] शरीर के रोएँ। रोम।				 | 
			
			
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					गात्र-वर्ण					 :
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					पुं० [मध्य० स०] स्वर साधन की एक प्रणाली जिसमें सातों स्वरों में से प्रत्येक का उच्चारण तीन तीन बार किया जाता है। जैसे–सा सा सा, रे रे रे,ग ग ग आदि।				 | 
			
			
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					गात्र-सम्मित					 :
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					वि० [ब० स०] (गर्भ) जो तीन महीने के ऊपर का होकर शरीर के रूप में आ गया हो।				 | 
			
			
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					गात्रक					 :
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					पुं० [सं० गात्र+कन्] शरीर।				 | 
			
			
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					गात्रवत्					 :
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					वि० [सं० गात्र+तुप्, वत्व] सुंदर शरीरवाला।				 | 
			
			
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					गात्रानुलेपनी					 :
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					स्त्री० [गात्र-अनुलेपनी, ष० त०] अंगराग।				 | 
			
			
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					गात्रावरण					 :
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					पुं० [सं० गात्र-आवण, ष० त० ] १. शरीर ढकनेवाली कोई चीज। २. युद्ध के समय शरीर को ढकनेवाले कवच जिरह-बख्तर आदि।				 | 
			
			
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					गात्रिका					 :
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					स्त्री० [सं० गात्र+कन्-टाप्, इत्व] शाल की तरह की एक प्रकार की पुरानी चादर।				 | 
			
			
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