शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					चोक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√कुच् (रोकना)+क्विप्, क च, पृषो० चुक-अच्] भड़भाँड़ या सत्यानासी नामक पौधे की जड़ जो दवा के काम आती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					चोकठ					 :
				 | 
				
					पुं०=चौखट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					चोकर					 :
				 | 
				
					पुं० [हिं० चून=आटा+कराई =छिलका] गेहूँ जौ आदि के आटे को छानने पर उसमें से बचनेवाला छिलके का अंग जो दरदरा तथा मोटे कणों के रूप में होता है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					चोका					 :
				 | 
				
					पुं० दे० ‘चोहका’। उदाहरण–चोका लाई अधर रस लेंही।–जायसी। वि० [स्त्री० चोकी] चोखा। उदाहरण–चोकी मेरी देह, तन सँजोग कोइ लाल कौं।–सेनापति।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					चोकी					 :
				 | 
				
					स्त्री० चौकी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					चोक्ष					 :
				 | 
				
					वि० [सं०√चक्ष् (प्रशस्त होना)+घञ्-पृषो० सिद्धि] १. पवित्र। शुद्ध। २. चतुर। दक्ष। ३. तीक्ष्ण। तेज। ४. प्रशंसित।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |