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चोटी  : स्त्री० [सं० चूड़ा ? प्रा० पं० चोटी, गु० मरा० चोटी, चोटली] १.स्त्रियों के सिर के वे बड़े और लंबे बाल जो कई प्रकार से लट या लटों के रूप में गूँथे रहते हैं। वेणी। मुहावरा–चोटी करना स्त्रियों का सिर के बाल गूँथ और सँवारकर उनकी लट या वेणी बनाना। २. हिन्दू पुरुषों में सिर के ऊपर पिछले भाग के मध्य में थोड़े से बचाकर रखे हुए वे लंबे बाल जो हिन्दुत्व का एक मुख्य चिन्ह होता है। चुंदी। शिखा। पद-चोटीवाला (देखें)। मुहावरा–चोटी कटना सिर मूँड़ाकर साधु-सन्यासी या संसार-त्यागी होना। (किसी के नीचे चोटी दबना ऐसी स्थिति में होना कि किसी से दबकर रहना पड़े। जैसे–जब तक उनके नीचे तुम्हारी चोटी दबी है, तब तक तुम उनके विरुद्ध नहीं जा सकते। (किसी की) चोटी (किसी के) हाथ में होना किसी का किसी दूसरे के अधीन या वश में होना। जैसे–उनकी चोटी तो हमारे हाथ में है। वे हम से बचकर कहाँ जायेंगे। चोटी रखना सिर के पिछले मध्य भाग में थोड़े से बाल आस-पास के बालों से अलग रखकर बढा़ना जो हिंदुत्व का चिन्ह है। शिखा धारण करना। ३. प्रायः काले धागों या सूतों का वह लंबा लच्छा जो स्त्रियाँ अपने सिर के बालों के साथ गूँथकर उन्हें बाँधने और अपनी चोटी लंबी तथा सुन्दर बनाकर दिखाने के काम में लाती है। ४. पान के आकार का वह गहना जो स्त्रियाँ सिर के बालों की जूड़े में खोंसती या अपनी चोटी के नीचे लटकाती हैं। ५. कुछ विशिष्ट पक्षियों के सिर पर या ऊपर उठे हुए कुछ लंबे पर या बाल। कलगी। जैसे–मुरगे या मोर की चोटी। ६. किसी बड़ी या भारी चीज का सबसे ऊँचा और ऊपरी भाग। जैसे–पहाड़ या महल की चोटी। ७. किसी चीज का किसी ओर निकला हुआ कुछ नुकीला और लंबा सिरा। जैसे–नीलम, पन्ने या हीरे की चोटी। ८. किसी प्रकार के उतार-चढ़ाव या ऊपरी मोड़ का सब से ऊँचा और ऊपरी अंश या भाग। जैसे–पूस-माघ में गेहूँ का भाव चोटी पर पहुँच जाता है। पद–चोटी का=अपने वर्ग में सब से अच्छा, बढ़कर या श्रेष्ठ। सर्वोतम। जैसे–चोटी का ग्रन्थ, चोटी का पंडित या विद्वान्।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चोटीवाला  : पुं० [हिं०] जिन, प्रेत या भूत जिसके संबंध में यह अपवाद है कि उसकी चोटी बहुत लंबी होती है। (स्त्रियाँ)। विशेष-प्रायः स्त्रियाँ भूत-प्रेत आदि बहुत डरती हैं और उनका नाम तक नहीं लेना चाहतीं, इसलिए वे इसी नाम से उसकी चर्चा करती हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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