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जरा  : स्त्री० [सं०√जृ (वृद्ध होना)+अङ्-टाप्] १. वृद्ध होने की अवस्था। बुढ़ापा। वृद्धावस्था। २. बुढ़ापे में होनेवाली कमजोरी। ३. काल की कन्या का नाम। (पुराण)। पुं० एक व्याध जिसके वाण से कृष्ण जी देवलोक सिधारे थे। वि० [अ० ज़रः] मान या मात्रा में थोड़ा। अल्प। कम। पद–जरा-सा= (क) बहुत ही कम। नहीं के बराबर। जैसे–जरा सा चूर्ण खा लो। (ख) तुच्छ या हेय। जैसे–जरा सी बात। अव्य० किसी काम या बात की अल्पता,तुच्छता,सामान्यता आदि पर जोर देने के लिए प्रयुक्त होनेवाला अव्यय। जैसे–(क) जरा तुम भी चले चलो। (ख) जरा कलम उठा दो।
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जरा-कुमार  : पुं० [ष० त०] जरासंध।
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जरा-ग्रस्त  : वि० [तृ० त] जो जरा से पीड़ित हो। वृद्धावस्था के कारण कमजोर तथा शिथिल।
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जरा-जीर्ण  : वि० [तृ० त०] जो पुराना अथवा वृद्ध होने के कारण जर्जर हो गया हो। जरा से जर्जर।
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जरा-पुष्ट  : पुं० [तृ० त०] जरासंध।
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जरा-शोष  : पुं० [मध्य० स०] वृद्धावस्था में होनेवाला एक शोष रोग।
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जरा-संध  : पुं० [ब० स०] मगध का एक प्रसिद्ध प्राचीन राजा जो कंस का श्वसुर था।
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जरा-सुत  : पुं० [ष० त०] जरासध।
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जराअत  : स्त्री० [अ० जिराअत] [वि० जराअती] खेती-बारी।
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जराऊ  : वि० [हिं० जड़ाऊ] जिसमें नगीने जड़े हों। उदाहरण–पाँवरि कबक जराऊ पाऊँ। दीन्हि असीस तेहि जड़े ठाऊँ।–जायसी।
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जरांकुश  : पुं० [सं० ज्वरांकुश] एक प्रकार की घास जिसकी पत्तियाँ सुगंधित होती हैं।
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जरातुर  : वि० [जरा-आतुर तृ० त] जरा-ग्रस्त। बूढ़ा।
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जराद  : पुं० [सं० जरा√ अ(खाना)+अण्] टिड्डी।
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जराना  : स०=जलाना। स०=जड़ाना।
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जराफत  : स्त्री० [अ० जराफत] जरीफ अर्थात् हँसोड़ होने की अवस्था या भाव। मसखरापन।
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जराभीत  : वि० [तृ० त०] वृद्धावस्था से डरनेवाला। पुं० कामदेव।
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जरायम  : पुं० [अ० जुर्म का बहु] अनेक प्रकार के अपराध।
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जरायम-पेशा  : वि० [अ० जरायम+फा० पेशः] (वह) जो अनेक प्रकार के अपराधों के द्वारा ही जीविका चलाता हो। अपराधशील।
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जरायु  : पुं० [सं० जरा√इ(गति)+अण्] १. वह झिल्ली जिसमें माता के गर्भ से निकलते समय बच्चा लिपटा हुआ होता है। आँवल। खेंड़ी। २. गर्भाशय। ३. योनि।
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जरायुज  : पुं० [सं० जरायु√जन् (उत्पन्न होना)+ड] वह प्राणी जो माता के गर्भ में से निकलते समय खेड़ी में लिपटा हुआ होता है। पिंडज।
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जराव  : वि०=जड़ाऊ। पुं०=जड़ाव।
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जराह  : पुं०=जर्राह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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