शब्द का अर्थ
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तमोऽन्त्य :
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वि० [सं०] ग्रहण के दस भेदों मे से एक जिसमें चंद्रमंडल की पिछली सीमा में राहु की छाया बहुत अधिक और बीच के भाग में थोड़ी-सी जान पड़ती है। फलित ज्योतिष के अनुसार ऐसे ग्रहण से फसल को हानि पहुँचती है और चोरी का भय होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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