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मस्ती  : स्त्री० [फा०] १. मस्त होने की अवस्था या भाव। मतवालापन। क्रि० प्र०—आना।—उठना।—उतरना।—चढ़ना।—में आना। मुहावरा—मस्ती झड़ना=कष्ट आदि में पड़ने के कारण मस्ती दूर होना। मस्ती झाडना=इतना कष्ट देना कि मस्ती दूर हो जाय। २. सम्भोग की ऐसी प्रबल इच्छा या काम-वासना कि भले-बुरे का विचार न रह जाय। मुहावरा—मस्ती झाडना या निकालना=किसी के साथ प्रसंग करके काम वासना शान्त करना। ३. मद। जैसे—हाथी की मस्ती, ऊँट की मस्ती। क्रि० प्र०—टपकना।—बहना। ४. वह स्राव जो कुछ विशिष्ट वृक्षों, पत्थरों आदि में कुछ विशेष अवसरों पर होता है। जैसे—नीम की मस्ती, पहाड की मस्ती। क्रि० प्र०—टपकना।—बहना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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