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अपूर्व  : वि० [सं० न० त०] १. जैसा कभी पहले न रहा हो या न हुआ हो। २. बिलकुल नये ढंग का। नवीन। ३. अद्वितीय। अनुपम। ४. अद्भुत। विलक्षण। पुं० ऐसी चीज जिसकी सत्ता अनुमान प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों से सिद्ध न हो।
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अपूर्व-रूप  : पुं० [सं० न० ब०] एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें पूर्व गुण की प्राप्ति न होने का उल्लेख होता है। (पूर्वरूप नामक अलंकार का विपरीत रूप)
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अपूर्व-वाद  : पुं० [मध्य० स०] ब्रह्म अथवा तत्त्व ज्ञान के संबंध में होनेवाला वाद-विवाद। तर्क-वितर्क।
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अपूर्व-विधि  : स्त्री० [सं० स० त०] ऐसी वस्तु या स्थिति प्राप्त करने का आशा-मूलक विधान जिसकी सत्ता अनुमान प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों से सिद्ध न हो सके। जैसे—मोक्ष या स्वर्ग की प्राप्ति के लिए आराधना या यज्ञ करना चाहिए।
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अपूर्वता  : स्त्री० [सं० अपूर्व+तल्-टाप्] अपूर्व होने की अवस्था गुण या भाव।
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