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अपेक्षा  : स्त्री० [सं० अप√ईक्ष्+अ-टाप्] [वि० आपेक्षिक] १. इधर-उधर या चारों ओर देखना। २. कुछ पाने के लिए उस पर दृष्टि रखना। ३. अस्तित्व, क्रम, विकास, स्थिति आदि के विचार से बातों या वस्तुओं में रहने वाला आवश्यक या स्वाभाविक संबंध। जैसे—ऐसी थोथी बात तो वहीं मानेगा जिसमें अपेक्षा बुद्धि न होगी। ४. किसी कमी की बात की सूचक ऐसी स्थिति जिसमें उस बात के हुए बिना पूर्णता न आती हो। (रिक्वायरमेंट) जैसे—(क) इस संसार में आने के लिए जीव को भौतिक शरीर की अपेक्षा होती है। (ख) अभी इस पुस्तक में थोड़े विशद विवेचन और कुछ उदाहरणों की अपेक्षा है। ५. आवश्यकता। जरूरत। ६. आसरा। प्रतीक्षा। जैसे—वहाँ कुछ लोग आप की अपेक्षा में खड़े है। ७. दे० ‘अपेक्षण’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अपेक्षा-बुद्धि  : स्त्री० [मध्य० स०] कार्य-कारण का संबंध, पारस्परिक घटना-क्रम आदि ठीक तरह से समझने की मानसिक शक्ति।
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अपेक्षाकृत  : क्रि० वि० [तृ०त०] (किसी की) तुलना या मुकाबले में। अपेक्षा का ध्यान रखते हुए। अपेक्षया।
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