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आत्म-गत  : वि० [सं० द्वि०त०] १. जो अपने (व्यक्तित्व) में आया या हुआ हो या अपने (आत्मा) से सबंध रखता हो। अपनी आत्मा में आया या मिला हुआ। २. अपने आप में होनेवाला। ३. अध्यात्म और दर्शन में जो कर्त्ता और विचारक के आत्म (चेतन या मन) में ही उत्पन्न हुआ हो। अथवा उससे संबंध रखता हो। ब्रह्म तत्त्वों या भौतिक पदार्थों से संबद्ध न हो। पर-गत का विपर्याय। (सब्टेक्टिव) ४. कला और साहित्य में (अभिव्यंजना और कृति) जो किसी के आत्म (चेतना या मन) से ही उद्भूत हुई हो और उसकी अनुभूतियों तथा विचारों पर ही आश्रित रहकर उन्हें प्रदर्शित करता हो, ब्राह्म पदार्थों पर आश्रित न हो। परगत का विपर्याय। (सब्जेक्टिव)। पुं० दे० ‘स्वगत-कथन’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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