शब्द का अर्थ
|
आत्म-रत :
|
वि० [स० त०] [भाव० आत्मरति] १. जो सदा अपने आप में लीन रहता हो, फलतः ब्रह्मज्ञानी। २. सदा अपना ही ध्यान रखनेवाला। पुं० बड़ी इंद्रायन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
आत्म-रति :
|
स्त्री० [स० त०] १. अपने आप में रत या लीन रहने की अवस्था या भाव। २. ऐसा आत्म-ज्ञान (ब्रह्म-ज्ञान) जो और किसी ओर ध्यान न जाने दे। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |