शब्द का अर्थ
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ईर्ष्या :
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स्त्री० [सं०√ईर्ष्य+अ-टाप्] [वि० ईर्ष्यक, ईर्ष्यालु] किसी को अपने से अधिक उन्नत, संपन्न या सुखी देखकर मन में होनेवाला वह कष्ट या जलन जिसके साथ उस व्यक्ति को वैभव सुख आदि से वंचित करके स्वयं उसका स्थान लेने की अभिलाषा लगी रहती है। डाह। (एन्वी)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईर्ष्या :
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स्त्री० [सं०√ईर्ष्य+अ-टाप्] [वि० ईर्ष्यक, ईर्ष्यालु] किसी को अपने से अधिक उन्नत, संपन्न या सुखी देखकर मन में होनेवाला वह कष्ट या जलन जिसके साथ उस व्यक्ति को वैभव सुख आदि से वंचित करके स्वयं उसका स्थान लेने की अभिलाषा लगी रहती है। डाह। (एन्वी)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईर्ष्यालु :
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वि० [सं०√ईर्ष्य+आलुच्] मन में किसी के प्रति ईर्ष्या रखनेवाला। ईर्ष्या या डाह करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईर्ष्यालु :
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वि० [सं०√ईर्ष्य+आलुच्] मन में किसी के प्रति ईर्ष्या रखनेवाला। ईर्ष्या या डाह करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |