शब्द का अर्थ
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					उद्दिष्ट					 :
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					वि० [सं० उद्√दिश् (बताना)+क्त] १. जिसकी ओर निर्देश या संकेत किया गया हो। कहा या बतालाया हुआ। २. जिसे उद्देश्य बना या मानकर कोई काम किया जाए। उद्देश्य के रूप में स्थिर किया हुआ। पुं० १. छंदशास्त्र में, प्रत्यय के अंतर्गत वह प्रक्रिया जिससे यह जाना जाता है कि मात्रा प्रस्तार के विचार से कोई पद्य किस छंद का कौन-सा प्रकार या भेद है। २. स्वामी की आज्ञा के बिना किसी वस्तु का किया जानेवाला भोग। (पराशर)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उद्दिष्ट					 :
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					वि० [सं० उद्√दिश् (बताना)+क्त] १. जिसकी ओर निर्देश या संकेत किया गया हो। कहा या बतालाया हुआ। २. जिसे उद्देश्य बना या मानकर कोई काम किया जाए। उद्देश्य के रूप में स्थिर किया हुआ। पुं० १. छंदशास्त्र में, प्रत्यय के अंतर्गत वह प्रक्रिया जिससे यह जाना जाता है कि मात्रा प्रस्तार के विचार से कोई पद्य किस छंद का कौन-सा प्रकार या भेद है। २. स्वामी की आज्ञा के बिना किसी वस्तु का किया जानेवाला भोग। (पराशर)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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