शब्द का अर्थ
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उल्लाप :
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पुं० [सं० उद्√लंप्+घञ्] १. बहलाना। २. न कहने योग्य बात। कुवाच्य। ३. आर्त्त-नाद। चीख-पुकार। ४. दे० ‘काकूक्ति’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लाप :
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पुं० [सं० उद्√लंप्+घञ्] १. बहलाना। २. न कहने योग्य बात। कुवाच्य। ३. आर्त्त-नाद। चीख-पुकार। ४. दे० ‘काकूक्ति’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लापक :
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वि० [सं० उद्√लप्+णिच्+ण्वुल्-अक] १. उल्लास करनेवाला। २. खुशामदी। चाटुकार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उल्लापक :
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वि० [सं० उद्√लप्+णिच्+ण्वुल्-अक] १. उल्लास करनेवाला। २. खुशामदी। चाटुकार। |
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उल्लापन :
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पुं० [सं० उद्√लप्+णिच्+ल्युट-अन] १. उल्लाप करने की क्रिया या भाव। २. खुशामद। |
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समानार्थी शब्द-
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पुं० [सं० उद्√लप्+णिच्+ल्युट-अन] १. उल्लाप करने की क्रिया या भाव। २. खुशामद। |
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उल्लापी (पिन्) :
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वि० [सं० उद्√लप्+णिच्+णिनि] उल्लापक। |
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समानार्थी शब्द-
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उल्लापी (पिन्) :
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वि० [सं० उद्√लप्+णिच्+णिनि] उल्लापक। |
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उल्लाप्य :
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पुं० [सं० उद्√लप्+णिच्+यत्] १. एक प्रकार का उपरूपक जो एक ही अंक का होता है। २. एक प्रकार का गीत। वि० जिसका उल्लापन (खुशामद) किया जाय या किया जा सके। |
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उल्लाप्य :
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पुं० [सं० उद्√लप्+णिच्+यत्] १. एक प्रकार का उपरूपक जो एक ही अंक का होता है। २. एक प्रकार का गीत। वि० जिसका उल्लापन (खुशामद) किया जाय या किया जा सके। |
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