शब्द का अर्थ
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					कंकड़					 :
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					पुं० [सं० कर्कर, प्रा० कक्कर, गु० मरा० कंकर, सि० कँकिरो, पं० कक्कर, ने० बँ, काँकर] [स्त्री० अल्पा० कंकड़ी, वि० कँकड़ीला, कँकरीला] १. पत्थर और मिट्टी के योग से बने हुए एक प्रकार के रोड़े जो सड़क बनाने और चूना, बरी आदि तैयार करने के काम आते हैं। २. पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े, जो छतें, सड़कें आदि बनाने के काम में आते हैं। ३. किसी कड़ी चीज का कोई बहुत छोटा टुकड़ा। ४. नीलम, पन्ने, हीरे आदि रत्नों का वह अनगढ़ टुकड़ा, जो अभी घिस कर सुडौल न किया गया हो। ५. वह सूखा या भुना हुआ तमाकू का पत्ता, जो चिलम पर सुलगा कर धूम-पान के काम में आता है। पद—कंकड़-पत्थर=कूड़ा-करकट।				 | 
			 
			
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					कंकड़ीला					 :
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					वि० [हिं० कंकड़] १. (मार्ग या रास्ता) जिसमें कंकड़ पड़े या बिछे हुए हों। २. कंकड़ों से भरा हुआ। ३. कंकड़ों से बना हुआ।				 | 
			 
			
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