शब्द का अर्थ
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					कछ					 :
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					पुं० [कच्छप] १. कछुआ नामक जंतु। २. भगवान का कच्छप या कूर्म नामक अवतार। उदाहरण—मछ कछ होय जलै नहिं डोला।—कबीर। पुं० दे० ‘काछा’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					कछना					 :
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					पुं० १. दे० ‘कछनी’। २. दे०‘काछ’। स० काछना।				 | 
			
			
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					कछनी					 :
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					स्त्री० [हिं० काछना] १. घुटने तक अथवा घुटने के ऊपर चढ़ाकर बाँधी जानेवाली धोती अथवा कोई वस्त्र। २. उक्त प्रकार से धोती या वस्त्र बाँधने का ढंग। ३. छोटी धोती।				 | 
			
			
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					कछरा					 :
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					पुं० [स्त्री० अल्पा० कछरी] दे० ‘कमोरा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कछराली					 :
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					स्त्री०=कखराली (कखौरी)।				 | 
			
			
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					कछव					 :
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					पुं० [सं० कर्दम] कीचड़। पुं०=कछुआ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कछवारा					 :
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					पुं० [हिं० कछी+बाड़ा] १. वह स्थान जहाँ काछी तरकारियाँ बोते हैं। २. काछियों के रहने का स्थान।				 | 
			
			
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					कछान					 :
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					पुं० [हिं० काछना] काछा काछने की क्रिया, ढंग या भाव।				 | 
			
			
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					कछाना					 :
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					स० [हिं० काछा] किसी को कछनी काछने में प्रवृत्त करना। पुं० =काछा।				 | 
			
			
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					कछार					 :
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					पुं० [सं० कच्छ] [स्त्री, अल्पा० कछारी] १. नदी अथवा समुद्र के किनारे की तर या नीची भूमि। (एल्यूवियल लैंड) २. आसाम राज्य का एक प्रदेश।				 | 
			
			
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					कछियाना					 :
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					पुं० [हिं० काछी+आना प्रत्यय] काछियों के रहने का स्थान। स०=काछना।				 | 
			
			
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					कछु					 :
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					वि०=कुछ (ब्रज)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कछुआ					 :
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					पुं० [सं० कश्यप, कच्छप० प्रा० कच्छभ, मु० कच्छवो, कासवो, सिं० कछउँ, कछूँ० बँ० काछिम, मरा० कासव, कांसव] एक प्रसिद्ध जंतु जो जल और स्थल दोनों में समान रूप से रहता है,पर जल में अधिक सुखी रहता है। इसकी पीठ पर ढाल के आकार की कड़ी खोपड़ी होती है।				 | 
			
			
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					कछुक					 :
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					वि० [हिं० कछु (=कुछ)+एक प्रत्यय] कुछ थोड़ा। उदाहरण—कछुए बनाइ भूप सन भाषे।—तुलसी।				 | 
			
			
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					कछुवा					 :
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					पुं०=कछुआ (जंतु)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कछुवै					 :
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					अव्य=कुछ भी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कछू					 :
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					वि०=कुछ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कछौटा					 :
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					पुं० [हिं० काछा+औटा प्रत्यय] [स्त्री० अल्पा० कछौटी] १. कमर में पहनने का काछा। कछनी। उदाहरण—हँसति धँसति जलधार कसति कोउ कलित कछौटा।—रत्ना। २. धोती पहनने का वह ढंग जिसमें दोनों लाँगे घुटनों तक चढ़ाकर और कसकर पीछे की ओर खोंसी जाती हैं। पुं० [सं० कक्ष] काँख। बगल।				 | 
			
			
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					कछौहा					 :
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					पुं० =कछार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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