शब्द का अर्थ
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					कता					 :
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					स्त्री० [अ० कतअ] १. किसी चीज के बनने बनाने का ढंग। तर्ज। बनावट। २. पहनने के कपड़ों की कतर-ब्योंत या काट-छाँट। ३. अरबी फारसी या उर्दू में कोई छोटा पद्य या उसका चरण। ४. चित्रकला में वह कृति जिसमें बेल-बूटे से घिरे हुया कोई पद्य लिखा हो। ५. दे० ‘किता’।				 | 
			
			
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					कताई					 :
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					स्त्री० [हिं० कातना] १. कातने की क्रिया, ढंग या भाव। (स्पिनिंग) २. कातने का पारिश्रमिक या मजदूरी। ३. कोई काम व्यर्थ ही अधिक समय लगाकर धीरे-धीरे या कई बार करते रहना।				 | 
			
			
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					कतान					 :
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					पुं० [१] १. एक प्रकार का बहुत बढ़िया कपड़ा जो पहले अलसी की छाल से बनता था। २. एक प्रकार का बढ़िया रेशमी कपड़ा जिससे दुपट्टे या साड़ियाँ बनती हैं।				 | 
			
			
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					कताना					 :
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					स० [हिं० कातना का प्रे० रूप] कातने का काम किसी से कराना। कतवाना।				 | 
			
			
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					कतार					 :
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					स्त्री० [अ०] १. पंक्ति। माला। २. झुंड। समूह।				 | 
			
			
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					कतारा					 :
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					पुं० [सं० कांतार, प्रा० कंतार] [स्त्री० अल्पा, कतारी] १. एक प्रकार का लाल ऊख जो बहुत लंबा होता है। २. इमली की फली।				 | 
			
			
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					कतारी					 :
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					स्त्री०=कतार। (पंक्ति)। स्त्री० [अ० कतऽ] ढंग। तरीका। प्रकार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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