शब्द का अर्थ
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कथक :
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पुं० [सं०√कथ (कहना)+णिच्+ण्वुल्-अक] १. वह जो कथा अर्थात् किस्से या कहानियाँ सुनाने का काम करता हो (कथावाचक या पौराणिक से भिन्न) २. प्राचीन रंग मंच में वह नट या पात्र जो आरम्भ में नाटक की पूरी कथा सुनाया करता था। ३. एक आधुनिक जाति जो प्रायः वैश्याओं आदि को गाना, नाचना आदि सिखाने का काम करती है। कत्थक। ४. एक विशेष प्रकार का नृत्य, जिसकी कला का विकास मुख्यतः उक्त जाति का किया हुआ है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कथक्कड़ :
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पुं० [सं० कथा+कड़ (प्रत्यय)] प्रायः बहुत अधिक या लम्बी-चौड़ी कथाएँ कहने या सुननेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |