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कल्याण  : पुं० [सं० कल्य√अण् (शब्द करना)+घञ्] १. सब प्रकार से होनेवाली भलाई तथा समृद्धि। २. शुभ-कर्म। ३. सोना। ४. संगीत में, संपूर्ण जाति का एक राग जो किसी के मत से श्रीराग का और किसी के मत से मेघराग का पुत्र है तथा जिसके गाने का समय रात का पहला पहर है।
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कल्याण-कामोद  : पुं० [द्व० स०] कल्याण और कामोद के मेल से बना हुआ एक संकर राग। (संगीत)
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कल्याण-नट  : [द्व० स०] कल्याण और नट के मेल से बना हुआ एक संकर राग। (संगीत)
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कल्याण-भार्य  : पुं० [ब० स०] ऐसा व्यक्ति जिसकी कई पत्नियाँ मर चुकी हों; अथवा जिसका विवाह होने पर कुछ ही दिनों में पत्नी मर जाती हो।
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कल्याणक  : वि० [सं० कल्याण+कन्]=कल्याणकर।
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कल्याणकर  : वि० [सं० कल्याण√कृ+ट] कल्याण करनेवाला।
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कल्याणकारी (रिन्)  : वि० [सं० कल्याण√कृ+णिनि] [स्त्री० कल्याणकारिणी] कल्याण या मंगल करनेवाला। शुभ।
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कल्याणी  : वि० [सं० कल्याण+ङीष्] १. कल्याण या मंगल करनेवाली। २. भाग्यशालिनी। ३. रूपवती। सुन्दरी। स्त्री० १. कामधेनु। २. गाय। गौ। ३. एक देवी का नाम। ४. माषपर्णी।
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