शब्द का अर्थ
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					कव्य					 :
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					पुं० [सं०√कु (शब्द)+यत्] १. वह अन्न जो पितरों के उद्देश्य से किसी को दिया जाय। २. वह द्रव्य जिससे पितरों के लिए पिंड बनाया जाय।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					कव्यवाह					 :
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					पुं० [सं० कव्य√वह् (ढोना)+अण्] पितृ यज्ञ के समय की अग्नि जिसमें पिंड से आहुति दी जाती है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |