शब्द का अर्थ
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काल :
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पुं० [सं०√कल् (गिनना)+णिच्+अच्+अण् (कृष्ण वर्ण या तद्विशिष्ट के अर्थ में) कु√ला (लेना)+क, कु=का] १. दो क्रियाओं, घटनाओं आदि के बीच का अवकाश जिसकी गणना वर्ष, मास, दिन, रात, घड़ी पल आदि के रूप में की जाती है। समय। (टाइम)। मुहावरा—काल-गूदड़ी सीना=समय बिताना। उदाहरण—तुम्हरे रुख फेरे करुणानिधि काल गुदरियाँ सीएँ।—सूर। पद—काल पाकर=कुछ समय बीतने पर। कुछ दिनों बाद। २. काल की कोई निश्चित अवधि मान या बिन्दु। जैसे—उदयकाल, जन्म-काल, शासन काल। ३. काल या समय की कोई ऐसी अवधि जो किसी घटना की सूचक या उसके लगभग हो। जैसे—प्रातःकाल, सायंकाल। ४. किसी काम या बात के लिए उपयुक्त अवसर या निश्चित समय। ५. वह अवधि जिसके बीतने के समय किसी बात का अन्त या समाप्ति होती है, अथवा कोई नई घटना घटित होती है। जैसे—काल सब को खा जाता है। ६. उक्त के आधार पर किसी के अन्त या विनाश का समय। ७. प्राणियों के संबंध में उनका अंत या मृत्यु। मौत। जैसे—उसका काल आ गया था इसी से उसकी मृत्यु हो गई। ८. मृत्यु के देवता, यमराज। मुहावरा—(किसी का) काल के गाल में जाना=मर जाना। मौत आना। (किसी के) सिर पर काल नाचना=मृत्यु या विनाश की निकटता। ९. शिव या महाकाल। १॰. काला नाग जिसके काटने से मृत्यु अवशंयभावी होती है। ११. व्याकरण में क्रियाओं के रूपों से सूचित होनेवाला वह तत्त्व जिसे पता चलता है कि अमुक घटना या बात किस समय से संबंध रखती है, अर्थात् हो चुकी है हो रही है या अभी होने को है। विशेष—इसी आधार पर इसके, भूत, वर्तमान और भविष्य ये तीन विभाग किये गये हैं। १२. ज्योतिष में एक योग जो यात्रा आदि कार्यों के लिए अशुभ गया है। १३. शनिदेवता। १४. लोहा। वि० [सं०] १. काला। कृष्ण। २. घोर। विकट। उदाहरण—है मैंने भी रो-रोकर काटी वियोग की काल रात्रि। भगवतीचरण वर्मा। ३. बहुत बड़ा। जैसे—काल जुआरी। पुं० अकाल (दुर्भिक्ष) क्रि० वि०=कल। (आनेवाला अथवा बीता हुआ दिन)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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काल-कंठ :
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पुं० [ब० स०] १. शिव। महादेव। २. मोर। मयूर। ३. नीलकंठ पक्षी। ४. खंजन। |
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काल-कवलित :
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वि० [तृ० त०] जो काल का ग्रास बना हो, अर्थात् मृत। मरा हुआ। |
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काल-कवि :
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पुं० [कर्म० स०] अग्नि। |
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काल-केतु :
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पुं० [उपमित० स०] पुराणानुसार एक राक्षस का नाम। |
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काल-क्रम :
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पुं० [सं० ष० त०] कार्यों, घटनाओं, तथ्यों आदि का वह क्रम जो उनके क्रमात् घटित होने के विचार से लगाया जाता है। (क्रोनालॉजी)। |
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काल-क्षेप :
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पुं० [ष० त०] काल या समय बिताना। दिन काटना या गुजारना। |
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काल-खंड :
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पुं० [ष० त०] १. काल का कोई विभाग। अवधि। २. परमेश्वर। उदाहरण—मानो कीन्हीं काल ही की कालखंड खंडना।—केशव। |
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काल-गंगा :
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स्त्री० [कर्म० स०] १. यमुना नदी, जिसके जल का रंग काला हो। कालिन्दी। २. लंका की एक नदी का नाम। |
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काल-गंडैत :
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पुं० [हिं० काला-गंडा] वह विषधर साँप जिसके शरीर पर काले गंडे या चित्तियाँ बनी होती है। |
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काल-चक्र :
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पुं० [ष० त०] समय का बराबर पलटते या बदलते रहना जो एक चक्र या पहिये के घूमने के समान माना गया है। २. काल का उतना अंश जितना एक उत्सर्पिणी और आवश्यकता में लगता है। (जैन) ३. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। |
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काल-ज्ञान :
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पुं० [ष० त०] समय की गति, स्थिति आदि की जानकारी और पहचान। समय-कुसमय की पहचान। |
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काल-ज्वर :
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पुं० [उपमित० स०] एक प्रकार का घातक ज्वर, जो मरुमक्षिकाओं के काटने से होता है। और जिसमें प्लीहा तथा यकृत की वृद्धि, रक्ताल्पता, जलोदर, रक्त-स्राव आदि होते हैं। काला अजार। |
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काल-तुष्टि :
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स्त्री० [ष० त०] सांख्य के अनुसार मनुष्य को उपयुक्त या नियत समय आने पर मिलने या होनेवाली संतुष्टि। |
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काल-दंड :
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पुं० [ष० त०] यमराज का दंड। |
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काल-दर्श :
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पुं० [सं० कालादर्श] काल-गणना की वह प्रणाली जिसके अनुसार वर्ष, मास आदि का परिमाण या विस्तार निश्चित होता है। (कैंलेंडर) जैसे—अरबी, भारतीय या रोमन कालदर्श। |
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काल-धर्म :
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पुं० [ष० त०] १. मृत्यु। २. अवसान। विनाश। ३. समय के अनुसार घटनाओं के घटित होने का प्राकृतिक या स्वाभाविक गुण या धर्म। जैसे—बरसात के दिनों में वर्षा होना। |
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काल-नाथ :
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पुं० [ष० त०] १. महादेव। शिव। २. काल-भैरव। |
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काल-निर्यास :
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पुं० [कर्म० स०] गुग्गुल। |
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काल-निशा :
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स्त्री० [कर्म० स०] १. अँधेरी और भयावनी रात। २. कार्तिकी अमावस्या की रात्रि। दिवाली की रात। |
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काल-नेमि :
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पुं० [उपमि० स०] १. एक राक्षस जो रावण का मामा था और जिसने हनुमान जी को उस समय छलना चाहा था जब वे संजीवनी लाने जा रहे थे। २. एक पौराणिक दानव जिसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था और जो अन्त में विष्णु के हाथों मारा गया था। (कहते हैं कि यह अपना शरीर चार भागों में बाँटकर हर शरीर से अलग-अलग काम करता था)। |
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काल-पाश :
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पुं० [ष० त०] १. समय का बन्धन। २. समय का वह नियंत्रण या बन्धन, जिसके अनुसार भूत-प्रेत कुछ समय तक किसी का कोई अनिष्ट नहीं कर सकते। ३. यमराज का पाश, बंधन या फंदा। यमपाश। |
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काल-पुरुष :
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पुं० [उपमित० स०] १. समय का कल्पित मानवी रूप। २. ईश्वर का विराट् रूप। ३. मृत्यु के देवता। काल देवता। ४. लोहे की वह मूर्ति जो संकट टालने के लिए दान की जाती है। ५. आकाश का एक नक्षत्र-मंडल। |
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काल-प्रमेह :
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पुं० [कर्म० स०] प्रमेह का एक भेद, जिसमें रोगी को काली पेशाब होती है। |
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काल-फल :
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पुं० [उपमित० स०] इंद्रायन या नारू, जिसे खाने से प्राणी मर जाता है। |
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काल-भैरव :
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पुं० [ब० स०] १. शिव। २. शिव के मुख्य गणों में से एक गण। |
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काल-मेघ :
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पुं० [कर्म० स०] एक पौधा जिसकी छाल और जड़ दवा के काम आती हैं। |
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काल-मेह :
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पुं० [ब० स०] एक उग्र तथा घातक विषम ज्वर जिसमें रोगी को प्रस्वेद, पैत्तिक वमन अतिसार आमाशय के ऊपरी भाग में पीड़ा आदि होती है। (ब्लैक वाँटर फीवर)। |
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काल-यवन :
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पुं० [उपमित० स०] पुराणानुसार एक यवन राजा जो कृष्ण और यादवों का घोर शत्रु था और जिसे कृष्ण ने छल से मुचकुंद के द्वारा जीते-जी भस्म करवा दिया था। |
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काल-यापन :
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पुं० [ष० त०] १. समय का काटना या बिताना। २. जानबूझ कर किसी काम में देर लगाना या विलम्ब करना। |
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काल-युक्त :
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पुं० [तृ० त०] साठ संवत्सरों में से बावनवाँ संवत्सर (हिन्दू पंचांग)। |
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काल-रात्रि :
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स्त्री० [कर्म० स०] १. प्रलय की रात,जिसमें सारी सृष्टि नष्ट हो जाती है और जिसे ब्रह्मा की रात्रि भी कहते हैं। २. बहुत अंधेरी और भयावनी रात। ३. मृत्यु की रात। ४. दीवाली की रात। ५. दुर्गा की एक मूर्ति या रूप। |
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काल-वाचक :
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वि० [ष० त०] समय सूचित करनेवाला। समय का प्रबोधक। जैसे—कालवाचक क्रिया-विशेषण अथवा विशेषण। |
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काल-विपाक :
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पुं० [ष० त०] १. किसी काम या बात की अवधि या समय पूरा होना अथवा उसके घटित होने का नियत समय आना। २. काल या नियति का वह विधान जो अपरिहार्य और अवश्यंभावी होता तथा अपने समय पर नियत काम करके रहता है। होनहार। होनी। |
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काल-वृद्धि :
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स्त्री० [तृ० त०] समय बीतने पर ब्याज या सूद का बहुत अधिक या इतना बढ़ जाना कि वह मूलधन के बराबर या उससे भी अधिक हो जाय। |
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काल-वेला :
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स्त्री० [ष० त०] १. शनिग्रह का भोग-काल, जो प्रायः घातक सिद्ध होता है। २. ज्योतिष में वह योग या समय जिसमें कोई धार्मिक या शुभ काम करना निषिद्ध होता है। |
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काल-सर्प :
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पुं० [कर्म० स०] १. ऐसा साँप जिसके काटने से प्राणी अवश्य और तुरन्त मर जाय। २. लाक्षणिक रूप में ऐसा व्यक्ति जो दूसरों की बड़ी-से-बडी हानि कर सकता हो। |
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काल-सूत्र :
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पुं० [उपमित० स०] अट्ठाइस मुख्य नरकों में से एक। |
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काल-सेन :
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पुं० [ब० स०] पुराणानुसार वह डोम जिसने राजा हरिशचन्द्र को मोल लिया था। |
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कालक :
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पुं० [सं०√कल् (प्रेरणा)+णिच्+थवुल्-अक] १. तैतीस प्रकार के केतुओं में से एक। २. आँख की पुतली। ३. पानी का साँप। डेड़हा। ४. पूर्वी भारत का एक प्राचीन देश। ५. यकृत। जिगर। ६. बीजगणित में दूसरी अव्यक्त राशि। वि० काले रंग का। काला। |
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कालका :
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स्त्री० [सं० काल+क, टाप्०] दक्ष प्रजापति की एक कन्या जिसका विवाह कश्यप से हुआ था और जिससे नरक तथा कालक नाम के दो पुत्र उत्पन्न हुए थे। |
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कालकूट :
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पुं० [सं० काल-कूट, उपमित स० अथवा० काल√कूट् (उपताप)+अण्] १. समुद्र मन्थन के समय निकला हुआ परम भीषण विष जिसे शिवजी ने पान किया था। २. भीषण विष। बहुत तेज जहर। ३. एक प्रकार का बहुत भीषण वानस्पतिक विष। काल। बछनाग। ४. सींगिया की जाति का एक पौधा जिसकी जड़ विषाक्त होती है। ५. उत्तर भारत के एक पर्वत का नाम। ६. इस पर्वत के आस-पास का प्रदेश, जिसमें आजकल के देहरादून और कालसी नामक स्थान है। |
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कालकोठरी :
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स्त्री० [हिं० काल+कोठरी] १. जेलखाने की वह बहुत छोटी और अँधेरी कोठरी जिसमें भीषण अपराध करनेवाले कैदी रखे जाते हैं। (सालिटरी सेल) २. बहुत ही अँधेरी और तंग जगह। |
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कालक्रमिक :
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वि० [सं० कालक्रम+ठक्-इक] (कार्यों घटनाओं आदि की सूची) जो कालक्रम के विचार से प्रस्तुत हो। २. काल-क्रम-संबंधी। |
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कालचक्रयान :
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पुं० [सं० ] एक बौद्ध संप्रदाय जिसे कुछ विद्वान वज्ज्रयान का एक भेद मानते हैं। |
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कालंजर :
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पुं० [सं० काल√जृ (जीर्ण होना)+णिच्+अच्, मुम्] कालिंजर। |
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कालज्ञ :
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पुं० [सं० काल√ज्ञा (जानना)+क] १. वह व्यक्ति जिसे भूत, वर्तमान तथा भविष्य तीनों का ज्ञान हों। २. ज्योतिषी। ३. वह जो समय की गति, स्थिति आदि ठीक तरह से पहचानता हो। ४. मुर्गा। |
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कालपट्टी :
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स्त्री० [पुर्त० कोलाफटी] जहाज की दरार या संधि भरने के लिए उसमें सन आदि ठूसने का काम। |
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कालपर्णी :
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स्त्री० [काल-पर्ण, ब० स० ङीष्] काली तुलसी। |
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कालबंजर :
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पुं० [सं० काल+हिं० बंजर] ऐसी परती जमीन जो बहुत दिनों से जोती बोई न गई हो, और फिर सहज में जोती बोई न जा सकती हो। |
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कालबूत :
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पुं० दे० ‘कलबूत’। |
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कालम :
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पुं० [अं०] स्तंभ (दे०)। |
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कालमुख :
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पुं० [सं०] एक प्राचीन शैव सम्प्रदाय जिसके अनुयायी शिव के नीलकंठ कृष्णवर्ण और मुण्डमालीधारी रूप की उपासना करते थे। |
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कालर :
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पुं० [अं०] १. पहनने के कपड़ों में वह पट्टीदार अंश जो गले के चारों ओर रहता है। २. पशुओं आदि के गले में बाँधने का पट्टा। पुं० दे० कल्लर। वि० दे० काला। उदाहरण—चाँच कटाऊँ पपइया रे ऊपरि कालर लूण।—मीराँ। |
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कालवाची (चिन्) :
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वि० [सं० काल√वच् (बोलना)+णिनि]=काल-वाचक। |
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कालसिर :
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पुं० [हिं० काल+सिर] जहाज के मस्तूल का ऊपरी सिर। |
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काला :
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वि० [सं० काल, कालक, पा० बँ० कालो, प्रा० कालअ, उ० कला, पं० काला, सि० कारो, ग० कालू, मरा० काला] [स्त्री० काली] १. जो काजल, कोयले या धूएँ के रंग का हो। कृष्ण। श्याम। जैसे—काला कपड़ा, काला आदमी। पद—काले सिर का=जिसके बाल अभी न पके हों। हष्ट-पुष्ट या नौजवान आदमी। २. जिसमें प्रकाश न हो। प्रकाश रहित। प्रकाश-शून्य। जैसे—काली कोठरी,काली गुफा। ३. (व्यक्ति) जिसके मन में कपट या छल हो। जैसे—काला हृदय। ४. अस्वच्छ। मलिन। ५. अनुचित या बुरा। निंदनीय। जैसे—काली करतूत। ६. जिसका संबंध किसी अनुचित या निषिद्ध बात से हो। जैसे—काली सूची (दे०)। ७. जिस पर किसी प्रकार का कलंक या लांछन लगा हो। जैसे—यह काला मुंह लेकर अब कहाँ जाओगे। ८. बहुत ही अनर्थकारी, भीषण या विकट। जैसे—काला चोर। पद—काले कोसों=बहुत दूर। जैसे—उनका घर तो काले कोसों है। पुं० [सं० कालसर्प] १. काला साँप, जो बहुत जहरीला होता है। काल-सर्प। २. साधारणतः कोई सांप। विशेष—प्रायः लोग साँप का नाम अशुभ समझते हैं, इसी से प्रायः उसे काला कहते हैं। जैसे—उसे काले ने डस लिया है। |
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काला आदमी :
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पुं० [हिं०] १. गरम देश का रहनेवाला व्यक्ति, जिसका रंग काला या गेहुँआ होता है। विशेष—यह पद गोरी जाति विशेषतः अंगरेज लोग भारतीयों सामियों आदि के लिए उपेक्षा और घृणा सूचित करने के लिए प्रयुक्त करते थे। २. कुत्सित और लांछित व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
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काला नमक :
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पुं० [हिं० काला+नमक] हर्रे, हड़, बहेड़े सज्जी आदि के योग से बनाया जानेवाला एक प्रकार का नमक, जो रंग में काला तथा पाचक होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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काला पहाड़ :
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पुं० [हिं० काला+पहाड़] १. बहुत भारी और विकट वस्तु। २. बहुत दुस्साध्य काम। ३. बहुत असह्र कष्ट या वेदना। |
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काला-नाग :
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पुं० [हिं० काला+नाग] १. काले रंग का नाग या साँप, जो बहुत जहरीला होता है। २. ऐसा कुटिल या धूर्त व्यक्ति जो औरों की बहुत हानि कर सकता हो। खोटा या दुष्ट व्यक्ति। |
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काला-बाजार :
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पुं० =काल-ज्वर। |
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काला-मोहरा :
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पुं० [हिं० काला+मोहरा] सींगिया की जाति का एक पौधा,जिसकी जड़ विषैली होती है। |
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कालाकंद :
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पुं० [हिं० काला+सं०कद ?] एक प्रकार का धान, जिसका चावल सैकड़ों वर्षों तक रक्खा जा सकता है। पुं० =कलाकंद। |
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समानार्थी शब्द-
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कालाकलूटा :
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वि० [हिं० काला+कलूटा] बहुत अधिक काला और कुरूप। |
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समानार्थी शब्द-
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कालाक्षर :
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पुं० [सं० काल-अक्षर, कर्म० स०] [वि० कालाक्षरिक कालाक्षरी] ऐसे गूढ़ अथवा विकट अक्षर या लेख आदि पढ़कर उनका अर्थ समझ में न पढ़ सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
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कालाक्षरिक :
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वि० [सं० कालाक्षर+ठक्-इक]=कालाक्षरी। |
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समानार्थी शब्द-
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कालाक्षरी (रिन्) :
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वि० [सं० कालाक्षर+इनि] (व्यक्ति) जो बहुत ही अस्पष्ट, गुप्त, गूढ़ या रहस्यपूर्ण लेख आदि पढ़कर उनका अर्थ समझ लेता हो। जैसे—कालाक्षरी पंडित। |
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समानार्थी शब्द-
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कालांग :
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वि० [काल-अंग, ब० स०] काले रंग का। काला। पुं० खड्ग। तलवार। |
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समानार्थी शब्द-
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कालागुरु :
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पुं० [सं० काल-अगुरु, कर्म० स०] काला अगर। |
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कालाग्नि :
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पुं० [काल-अग्नि, कर्म० स०] १. सृष्टि का नाश करनेवाली अग्नि। प्रलयकाल की अग्नि। २. इस अग्नि के अधिष्ठाता देवता। रुद्र। ३. पंचमुखी रुद्राक्ष। विशेष—अग्नि शब्द सं० में पुं० होने पर भी हिन्दी में स्त्री माना जाता है। इसलिए पहले अर्थ में कालाग्नि का प्रयोग भी हिन्दी में प्रायः स्त्रीलिंग रूप में ही होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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कालाग्रह :
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पुं० =कारावास (जेल)। |
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समानार्थी शब्द-
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कालाचोर :
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पुं० [हिं० काला+चोर] १. बहुत बड़ा और नामी चोर। २. बहुत बुरा आदमी। जैसे—हम चाहें तो अपनी चीज काले चोर को दे दें। |
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समानार्थी शब्द-
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कालांजन :
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पुं० [काल-अंजन, कर्म० स०] एक प्रकार का सुरमा। |
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समानार्थी शब्द-
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कालाजीरा :
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पुं० [हिं० काला+जीरा] १. एक प्रकार का जीरा, जिसका रंग काला होता है, और जो सफेद जीरे से अधिक सुगंधित होता है। स्याह जीरा। पर्वत जीरा। २. एक प्रकार का बढ़िया धान और उसका चावल। |
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समानार्थी शब्द-
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कालांतर :
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पुं० [काल-अंतर, मयू० स०] १. अंतराल। २. उल्लिखित समय से भिन्न या बाद का समय। वि० कुछ समय के बाद अपना प्रभाव दिखलानेवाला। जैसे—कालांतर विष। |
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समानार्थी शब्द-
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कालांतर-विष :
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पुं० [ब० स०] ऐसा जन्तु या प्राणी जिसके काटने पर विष कुछ दिन बाद अपना प्रभाव दिखाता हो। जैसे—पागल कुत्ता, चूहा आदि। |
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समानार्थी शब्द-
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कालांतरित :
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वि० [सं० काल-अंतरित, तृ० त०] १. जिसका काल या समय टल गया हो। २. जिसे बने बहुत समय हो गया हो। पुराना। जैसे—कालांतरित पुराण। |
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समानार्थी शब्द-
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कालातिपात :
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पुं० [काल-अतिक्रमण, ष० त०] १. समय का उचित या नियत से अधिक बीतना। २. दे० ‘कालातिक्रमण’। |
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समानार्थी शब्द-
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कालातिरेक :
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पुं० [काल-अतिरेक, ष० त०] कालातिपात। |
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समानार्थी शब्द-
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कालातिल :
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पुं० [हिं० काला+तिल] वह तिल, जिसके दाने काले होते हैं (सफेद तिल से भिन्न)। मुहावरा—काला तिल चबाना=किसी के अधीन दबैल या वशवर्ती होना। २. शरीर के किसी अंग में होनेवाला वह छोटा काला दाग, जो देखने में तिल के समान जान पड़ता है। विशेष—सामुद्रिक में भिन्न-भिन्न अंगों के विचार से यह शुभ और अशुभ माना जाता है। साधारणतः स्त्रियों के कुछ विशिष्ट अंगों पर यह उनका सौंदर्य बढ़ाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालातीत :
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वि० [सं० काल-अतीत, द्वि० त०] १. जो काल से परे हो। २. जिसका नियत या निर्धारित समय बीत गया हो और इसलिए जिसका महत्त्व या वैधता न रह गई हो। (टाइम वार्ड)। पुं० न्याय में पाँच प्रकार के हेत्वाभासों में से एक जिसमें अर्थ किसी देश काल के विचार से ठीक न हो और इसी कारण हेतु असत् ठहरता हो। (यह एक प्रकार का बाघ है जो साध की अप्रामाणिकता या अभाव सूचित करता है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालात्मा (त्मन्) :
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पुं० [काल-आत्मन्, ब० स०] परमात्मा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालादाना :
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पुं० [हिं० काला+दाना] १. एक लता, जिसमें नीले रंग के फूल लगते हैं। २. उक्त लता के बीज जो बहुत ही रेचक होते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालादेव :
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पुं० [हिं० काला+फा० देव] १. बहुत ही काले रंग का एक कल्पित देव या विशालकाय व्यक्ति। २. काले रंग का बहुत हष्ट-पुष्ट व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालाधतूरा :
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पुं० [हिं० काला+धतूरा] १. एक प्रकार का बहुत विषैला धतूरा, जिसके फल और बीज काले होते है। २. उक्त धतूरे के फल या बीज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालाध्यक्ष :
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पुं० [काल-अध्यक्ष, ष० त०] सूर्य जिनके उदय और अस्त से काल या समय का ज्ञान होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालानल :
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पुं० [काल-अनल, कर्म० स०]=कालाग्नि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालानुक्रम :
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पुं० [सं० काल-अनुक्रम, ष० त०] [वि० कालानुक्रमिक]=काल-क्रम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालापान :
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पुं० [हिं० काला+पान] ताश के पत्तों में हुक्म नामक रंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कालापानी :
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पुं० [हिं० काला+पानी] १. बंगाल की खाड़ी का वह अंश, जहाँ का पानी काला होता है। २. अंड मन नामक द्वीप जहाँ ब्रिटिश शासन के वे कैदी रखे जाते थे जिन्हें आजीवन देश निकाले का दंड दिया जाता था और जिन्हें जहाज पर उक्त कालापानी पार करना पड़ता था। ३. देश-निकाले या द्वीपान्तर वास का दंड। ४. मदिरा। शराब। |
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कालायनी :
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स्त्री० [सं० काल+फक्-आयन, ङीष्] दुर्गा। |
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कालावधि :
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स्त्री० [काल-अवधि, ष० त०] कोई काम करने या होने के लिए नियत निर्धारित या निश्चित किया हुआ समय। अवधि। (पीरियड)। |
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कालाशुद्धि :
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स्त्री० [काल-अशुद्धि, ष० त०] ऐसा काल, समय या स्थिति जो किसी प्रकार अशुद्ध या दूषित होने के कारण शुभ कामों के लिए वर्जित हो। |
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कालाशौच :
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पुं० [काल-अशौच, मध्य० स०] पिता, माता, गुरुजनों आदि के मरने पर होनेवला अशौच जो श्राद्ध आदि हो चुकने के बाद भी प्रायः एक वर्ष तक चलता है। |
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कालास्त्र :
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पुं० [काल-अस्त्र, कर्म० स०] ऐसा अस्त्र, जिसके प्रहार से शत्रु का घात या विनाश निश्चित हो। काल के मुख में पहुँचानेवाला अस्त्र। |
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कालाहणि :
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वि० [सं० काल+अहन्] १. प्रलयकालीन। २. भयानक। भीषण। उदाहरण—कठ्ठी बे घटा करे कालाहणि।—प्रिथीराज। |
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कालि :
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क्रि० वि० [सं० कल्य०] १. आज से पहले वाले दिन। २. आज के बाद आनेवाला दिन। कल (देखें)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कालि-काला :
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क्रि० वि० [हिं० कालि+काल] कदाचित्। कभी। किसी समय। |
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कालिक :
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वि० [सं० काल+ठञ्-इक०] १. किसी विशिष्ट काल से संबंध रखनेवाला। जैसे—पूर्वकालिक, मध्यकालिक। २. उचित, उपयुक्त या नियत समय पर होने वाला। ३. रह-रहकर कुछ निश्चित समय पर होनेवाला। (पीरिआँडिक) पुं० १. नाक्षत्र मास। २. काला चंदन। ३. कौंच पक्षी। ४. कलेजा (डिं०) ५. ऐसी पत्रिका या समाचार-पत्र जिसका प्रकाशन नियमित रूप से होता है। तथा जिसमें प्रतिदिन के अथवा उस काल से संबंधित समाचार या सूचनाएँ रहती हो । (पीरिआडिकल जरनल) |
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कालिका :
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स्त्री० [सं० काल+ठन्-इक, टाप्] १. कालापन। २. कालारंग। ३. स्याही, विशेषतः काली स्याही। ४. कालिमा। ५. बादलों की घटा। मेघ-माला। ६. काली मिट्टी। ७. काले रंग की हर्रे। ८. जटामासी। ९. शरीर पर के रोओं की पंक्ति। रोमावली। १॰. आँख की पुतली। ११. आँख में का काला तिल। १२. दुर्गा की एक मूर्ति जो रण-क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी मानी गई है। १३. चार वर्ष की वह बालिका, जिसका किसी उत्सव पर उक्त देवी के रूप में पूजा की जाती हो। १४. दक्ष की कन्या का नाम। १५. मादा बिच्छू। १६. बिच्छुआ नामक घास। १७. कौए की मादा। १८. काकोली। १९. श्यामा नामक पक्षी। २॰. कान की एक विशेष नस। २१. मादा श्रृंगाल। सियारिन। गीदड़ी। |
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कालिका-पुराण :
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पुं० [मध्य० स०] हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध उपपुराण जिसमें कालिका देवी के माहात्म्य का वर्णन है। |
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कालिका-वृद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] वह ब्याज जो नियमित रूप से तथा निश्चित काल बीतने पर दिया या लिया जाय। |
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कालिकेय :
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पुं० [सं० कालिका+ढक्-एय] दक्ष की कन्या। कालिका से उत्पन्न असुरों की एक जाति। |
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कालिख :
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स्त्री० [सं० कालिका] १. किसी चीज पर जमनेवाला धुएँ का अथवा और किसी प्रकार का काला मैल। २. लाक्षणिक रूप में ऐसी बात या वस्तु, जिससे किसी पर बहुत ही लज्जाजनक रूप में कलंक या धब्बा लगता हो। जैसे—किसी के मुंह पर कालिख लगना। |
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कालिंग :
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वि० [सं० कलिंग-अण्] १. कलिंग देश में उत्पन्न होनेवाला। २. कलिंग संबंधी। पुं० १. कलिंग देश का निवासी। २. कलिंग देश का राजा। ३. हाथी। ४. साँप। ५. तरबूज। |
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कालिंगड़ा :
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पुं० [सं० कलिंग०] संपूर्ण जाति का एक राग, जिसके गाने का समय रात का अंतिम पहर माना गया है। कलिंगड़ा। |
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कालिज :
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पुं० [अं०]=कालेज। पुं० [?] एक प्रकार का चकोर। |
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कालिंजर :
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पुं० [सं० कालंजर] बाँदा जिले के पास का एक प्रदेश और उससे संलग्न एक पर्वत-श्रेणी। |
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कालिंद :
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वि० [सं० कलिंद या कालिंदी+अण्] कलिंद या कालिंदीसंबंधी। पुं० [कालि=जलराशि√या (देना)+क, पृषो० मुम्०] तरबूज। |
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कालिंदक :
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पुं० [सं० कालसिंद+कन्] तरबूज। |
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कालिंदी :
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पुं० [सं० कलिंद+अण्-ङीष्०] १. यमुना नदी जो कलिंद पर्वत से निकली है। २. लाल निसोथ। ३. उड़ीसा का एक वैष्णव सम्प्रदाय। ४. संगीत में ओड़व जाति की एक रागिनी। |
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कालिंद्री :
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स्त्री०=कालिंदी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कालिब :
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पुं० [अ०] १. किसी वस्तु का ढाँचा। २. टीन या लकड़ी का वह गोल ढाँचा जिस पर चढ़ाकर टोपियाँ दुरूस्त की जाती हैं। ३. देह। शरीर। ४. दे० ‘कलबूत’। |
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कालिमा (मन्) :
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स्त्री० [सं० काल+इमानिच्] १. काले होने की अवस्था, गुण या भाव। कालापन। २. अंधकार। अँधेरा। ३. कालिख। ४. कलंक। लांछन। |
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कालिय :
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पुं० [सं० क-आ√ली (छिपना)+क] एक बहुत बड़ा और भीषण साँप जो यमुना में रहता था और जिसका दमन कृष्ण ने किया था। |
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काली :
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स्त्री० [सं० काल+ङीष्] १. चंडी या दुर्गा का एक रूप। कालिका। २. दस महाविद्याओं में से एक। ३. अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक। ४. हिमालय की एक नदी। ५. अँधेरी रात। पुं० =कालिय (नाग)। |
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काली अंछी :
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स्त्री० [देश] एक कँटीली झाड़ी जिसमें पत्तियाँ १२-१३ अंगुल लंबी तथा दाँतेदार होती हैं। |
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काली जबान :
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स्त्री० [हिं० काली+फा० जबान] ऐसी जबान जिससे निकली हुई अमांगलिक या अशुभ बात प्रायः पूरी उतरती हो। |
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काली जीरी :
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स्त्री० [सं० कणजीर] १. एक प्रकार का पौधा जिसकी फलियों के दाने या बीज ओषधि के रूप में काम आते हैं। बनजीरा। २. उक्त पौधे की फलियों के दाने। कारीजीर। |
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काली बेल :
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स्त्री० [हिं० कालीबेल] १. एक प्रकार की लता जिसमें छोटे छोटे हरे फूल लगते हैं। २. उक्त लता के फूल। |
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काली मिट्टी :
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स्त्री० [सं० काली+मिट्टी] एक प्रकार की चिकनी काली मिट्टी जो लीपने-पोतने और सिर मलने के काम में आती हैं। |
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काली मिर्च :
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स्त्री० [सं० काली+मिर्च] एक प्रसिद्ध पौधे के छोटे गोल दाने, जो स्वाद में मिर्च की तरह कडुए होने के कारण मसाले के काम में आते हैं। गोलमिर्च। |
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काली शीतला :
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स्त्री० [सं० काली+सं० शीतला] एक प्रकार की शीतला(चेचक) जिसमें शरीर पर मोटे-मोटे काले दाने निकलते हैं। |
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काली सूची :
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स्त्री० [सं० व्यस्त पद] १. ऐसे लोगों की सूची जिन्होंने कुछ अवैधानिक नियम-विरुद्ध या निंदनीय कार्य किये हों। २. ऐसे लोगों की सूची जो किसी दृष्टि या विचार से परित्यक्त माने गये हों। ३. अपराधी या दंडित व्यक्तियों की सूची। (ब्लैक लिस्ट)। |
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काली हर्रे :
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स्त्री० [सं० काली+हर्रे] जंगी हर्रे। छोटी हर्रे। |
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कालीची :
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स्त्री० [सं० काली√चि (चयन)+ड, ङीष्] वह भवन जिसमें बैठकर यमराज प्राणियों के पाप-पुण्य आदि का विचार करते हैं। यमराज का न्यायालय। |
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कालीदह :
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पुं० [सं० कालिय+हिं० दह] वृन्दावन में यमुना का एक दह या कुंड जिसमें कालिय नाग रहा करता था। |
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कालीन :
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वि० [सं० काल+ख-ईन] किसी काल-विशेष में होने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। जैसे—मध्यकालीन, समकालीन। पुं० [अ०] ऊन सूत आदि का बना हुआ एक प्रकार का मोटा बिछावन जिस पर रंग-बिरंगे बेल-बूटे बने रहते हैं। गलीचा। (प्राचीन भारत में इसे पलिका कहते थे)। |
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कालीय :
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वि० [सं० काल+छ-ईय] १. काल-संबंधी। २. काल का। ३. दे० कालीन। पुं० काला चंदन। पुं० =कालिय। |
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कालीयक :
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पुं० [सं० कालीय+कन्] १. पीला चंदन। २. केसर। ३. दारू हल्दी। ४. काली अगर। |
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कालुष्य :
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पुं० [सं० कलुष+ष्यञ्] कलुष या काले होने की अवस्था या भाव। |
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कालू :
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स्त्री० [?] सीप के अंदर रहनेवाला कीड़ा। लोना। कीड़ा। वि०=काला। |
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कालेज :
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पुं० [अं०] वह विद्यालय जहाँ कुछ या कई विषयों की पढ़ाई अंग्रेजी ढंग से बी० ए० या एम० ए० तक होती हो। महाविद्यालय। |
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कालेय :
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वि० [सं० कलि+ढक्-एय] कलियुग में होने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। पुं० [कला+ढक्-एय] १. यकृत्। २. काले चंदन की लकड़ी। ३. केसर |
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कालेयक :
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पुं० [सं० कालेय+क] १. काला चंदन। २. चंदन की लकड़ी। ३ पीलिया की तरह का एक रोग। ४. कुत्ता |
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कालेश :
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पुं० [काल-ईश, ष० त०] १. सूर्य। २. शिव। |
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कालोंच :
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स्त्री०=कलौंछ। |
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कालोनी :
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स्त्री० [अं०] उपनिवेश (दे०)। |
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कालौंछ :
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स्त्री० कलौंछ (या कलौंस)। |
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काल्प :
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वि० [सं० कल्प+अण्] कल्प संबंधी। पुं० कचूर। |
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काल्पनिक :
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वि० [सं० कल्पना+ठञ्-इक] १. कल्पना संबंधी। २. (बात या विषय) जो केवल कल्पना से निकला या बना हो। अर्थात् जिसका कोई वास्तविक आधार न हो। कल्पित। फरजी। मनगढंत। (इमैजिनरी) ३. कल्पना करनेवाला। (व्यक्ति)। |
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काल्य :
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वि० [सं० काल+यत्] १. ठीक समय पर होनेवाला। सामयिक। २. [कल्प+अण्] प्रातःकाल संबंधी। ३. शुभ। |
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काल्ह :
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क्रि० वि० पुं० =कल। |
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काल्हि :
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क्रि० वि०=कल। |
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