शब्द का अर्थ
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					काह					 :
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					क्रि० वि० [सं० कः को] क्या पुं० [फा०] सूखी घास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					काहल					 :
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					पुं० [सं० कु-हल, ब० स० कु=कादेश] [स्त्री० काहली] १. मुरगा। २. नर बिल्ली। बिल्ला। बिलार। ३. अव्यक्त या अस्पष्ट शब्द। ४. जोर का शब्द। हुंकार। ५. एक प्रकार का बड़ा ढोल। वि०=काहिल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					काहलि					 :
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					पुं० [सं० क-आ√हल् (देना)+इन्] शिव।				 | 
			
			
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					काहलियाँ					 :
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					वि० [सं० कातर या फा० काहिल] १. कायर। डरपोक। २. अधीर। उदाहरण—डर ओले प्री रखियउ, मूँधा काहलियाँह।—ढो० मा।				 | 
			
			
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					काहली					 :
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					स्त्री० [सं० काहलि+ङीष्] युवती।				 | 
			
			
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					काहा					 :
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					क्रि० वि० [सं० कथं<प्रा०कत्थ>काहा] किस तरह या प्रकार का। कैसा। उदाहरण—मानसरोदक देखिए काहा।—जायसी। सर्व० किसको। किसे। उदाहरण—पुनि रूपवतं बखानौ काहा-जायसी। वि०=कैसा।				 | 
			
			
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					काहि					 :
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					सर्व० [हिं० काँह] १. किसको। किसे। २. किससे।				 | 
			
			
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					काहिल					 :
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					वि० [फा०] १. धीरे-धीरे या सुस्ती से काम करनेवाला। सुस्त। २. मंद बुद्धिवाला।				 | 
			
			
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					काहिली					 :
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					स्त्री० [फा०] १. काहिल होने की अवस्था या भाव। सुस्ती।				 | 
			
			
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					काही					 :
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					वि० [फा० काह-सूखी घास] घास के रंग का। कालापन लिये हुए हरा। पुं० उक्त प्रकार का रंग। स्त्री०=काई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					काहु					 :
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					सर्व०=काहु।				 | 
			
			
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					काहू					 :
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					सर्व० [सं० कः अथवा हिं० का+हू (प्रत्यय)] १. किसी। उदाहरण—जो काहू की देखहिं विपत्ती। २. किसी को। पुं० [फा०] गोभी की तरह का एक पौधा जिसके बीज दवा के काम आते हैं।				 | 
			
			
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					काहे					 :
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					क्रि० वि० [सं० कथं, प्रा० कहँ] किसलिए। क्यों। पद—काहे को (क) किस अधिकार से। (ख) किस कारण या उद्देश्य से। उदाहरण—काहे को मेरे घर आये हो।—गीत।				 | 
			
			
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