शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					कुलक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कुल+कन्] १. एक साथ या एक ही स्थान पर होने, बनने प्रकाशित होनेवाली अथवा एक साथ काम आनेवाली वस्तुओं का समूह। (सेट) जैसे—(क) एक ही ग्रंथमाला के सब ग्रन्थों का कुलक। (ख) पहनने के सब कपड़ों का कुलक। २. संस्कृत में गद्य लिखने का एक ढंग या प्रकार। ३. दीया। दीपक। ४. हरा साँप। ५. परवल या उसकी लता। ६. कुचला नामक विष। ७. मकर तेंदुआ नामक वृक्ष।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					कुलकना					 :
				 | 
				
					अ०=निकलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					कुलकानि					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० कुल+हिं० कान=मर्यादा] कुल की प्रतिष्ठा, मर्यादा और लज्जा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					कुलकुल					 :
				 | 
				
					पुं० [अनु] बोतल या सुराही में भरे हुए तरल पदार्थ को उँडेलने से होनेवाला शब्द।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					कुलकुलाना					 :
				 | 
				
					अ० [अनु] १. कुल-कुल शब्द होना। २. विकल और व्यथित होना। स० १. कुलकुल शब्द उत्पन्न करना। २. विकल और व्यथित करना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					कुलकुली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [अनु] १. =खुजली। २. =बेचैनी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					कुलक्षण					 :
				 | 
				
					वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० कुलक्षणी] १. बुरे लक्षणोंवाला। २. अशुभ। पुं० [कुगति स०] दूषित या बुरा लक्षण।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					कुलक्षणी (णिन्)					 :
				 | 
				
					वि० [सं० कुलक्षण+इनि] बुरे लक्षणोंवाला। स्त्री०बुरे लक्षणोंवाली स्त्री।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |