शब्द का अर्थ
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					क्रम					 :
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					पुं० [सं०√क्रम् (गति)+घञ्] १. डग। पग। २. डग भरने की क्रिया। चलना। ३. पशुओं आदि की वह स्थिति जो छलाँग भरने अथवा शत्रु पर आक्रमण करने से पहले बनती है। ४. कोई नियत या निश्चित पद्धति या योजना। तरतीब। सिलसिला। (आर्डर)। पद—क्रम क्रम से=(क) बारी-बारी से। (ख) धीरे-धीरे। ५. उचित रूप से तथा ठीक प्रकार से काम करने का ढंग। ६. वेदपाठ की एक विशिष्ठ प्रणाली। ७. नियम और विधान के अनुसार एक के बाद ठीक तरह से वैदिक कर्म करने की व्यवस्था। ८. साहित्य में एक अलंकार,जिसमें पहले कुछ वस्तुओं आदि का एक क्रम या सिलसिले से उल्लेख होता है और आगे ठीक इसी क्रम या सिलसिले से उन वस्तुओं सं संबंध रखनेवाले कार्यों या बातों का उल्लेख होता है। यथःसंभव। (रिलेटिव आर्डर) ९. वामन भगवान् का एक नाम। १॰. कल्प। ११. शक्ति। पुं० दे० कर्म। जैसे—मन-क्रम-वचन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					क्रम-जटा					 :
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					स्त्री० [उपमित० स०] वेदपाठ की शैली।				 | 
			
			
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					क्रम-दंडक					 :
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					पुं० [उपमित स०] वेदों के पाठ की शैली या ढंग।				 | 
			
			
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					क्रम-पद					 :
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					पुं० [उपमित० स०] वेद पाठ का एक प्रकार का ढंग।				 | 
			
			
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					क्रम-परिवर्तन					 :
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					पुं० [स० त०] क्रम में आगे या पीछे या पीछे से आगे होना। विपर्य्यय। (ट्रांसपोजीशन)				 | 
			
			
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					क्रम-पाठ					 :
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					पुं० [ष० त०] संहिता और पाद दोनों को मिला कर किया जाने वाला वेद-पाठ।				 | 
			
			
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					क्रम-पूरक					 :
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					पुं० [ष० त०] मौलसिरी का पेड़।				 | 
			
			
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					क्रम-बद्ध					 :
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					वि० [स० त०] १. जो किसी क्रम या सिलसिले से न लगा हुआ हो। २. जिसका क्रम लगाया जा चुका हो।				 | 
			
			
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					क्रम-भंग					 :
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					पुं० [ष० त०] किसी लगे हुए क्रम या बँधे हुए सिलसिले में होने वाला उलट-फेर। व्यक्तिक्रम। (डीरेंजमेंन्ट)।				 | 
			
			
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					क्रम-संख्या					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] एक क्रम से लिखे जानेवाले नामों, बातों आदि के आरंभ में लिखी जानेवाली संख्या जो उन सब के क्रम की सूचक होती है। (सीरियल नंबर)।				 | 
			
			
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					क्रम-संन्यास					 :
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					पुं० [मध्य० स०] यथाक्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ और वानप्रस्थ आश्रमों में रह चुकने के बाद ग्रहण किया जानेवाला संन्यास। (अचानक किसी आश्रम से ग्रहण किये जानेवाले संन्यास से भिन्न।)				 | 
			
			
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					क्रम-सूचक					 :
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					वि० [ष० त०] १. जिससे कोई क्रम, परंपरा या श्रृंखला सूचित होती हो। ३. (अंक या संख्या वाचक शब्द) जो क्रम के विचार से स्थान का सूचक हो। (आर्डिनल) जैसे—दूसरा, पाँचवाँ, सातवाँ आदि।				 | 
			
			
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					क्रमक					 :
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					वि० [सं०√क्रम्+वुन्-अक] क्रम=वेदपाठ का अध्ययन करने वाला। पुं० [क्रम+कन्] १. एक ही प्रकार या वर्ग की चीजों का कुछ दूर तक चलनेवाला क्रम। माला। (सिरीज) २. किसी वस्तु या व्यक्ति के आने-जाने का निश्चित या स्थिर मार्ग। जैसे—नदी का क्रमक वायुयान का क्रमक। (कोर्स)।				 | 
			
			
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					क्रमण					 :
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					पुं० [सं०√क्रम्+ल्युट-अन] १. पैर बढ़ाने या चलने की क्रिया या भाव। २. एक स्थान या स्थिति से दूसरे स्थान या स्थिति में जाना। ३. अतिक्रमण या उल्लंघन करना। ४. पारे के अठारह संस्कारों में से एक। (वैद्यक)।				 | 
			
			
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					क्रमतः (स्)					 :
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					अ० [सं० क्रम्+तस्] १. क्रम-क्रम से थोड़ा-थोड़ा करके। धीरे-धीरे। (ग्रैजुअली) २. जो क्रम लगा हो उसी के अनुसार। किसी क्रम विशेष से। (सेक्सेसिवली)।				 | 
			
			
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					क्रमना					 :
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					अ० [सं० क्रम] १. क्रम लगाना। २. क्रम से चलना। उदाहरण—क्रमिया अति ऊछाह करेउ।—प्रिथीराज।				 | 
			
			
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					क्रमनासा					 :
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					स्त्री०=कर्मनाशा।				 | 
			
			
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					क्रमशः (स्)					 :
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					अव्य० [सं० क्रम+शस्] १. नियत क्रम के अनुसार। सिलसिलेवार। २. एक-एक करके। बारी-बारी से। ३. थोड़ा-थोड़ा करके। क्रमतः।				 | 
			
			
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					क्रमांक					 :
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					पुं० [सं० क्रम-संख्या, मध्य० स०]=क्रम संख्या।				 | 
			
			
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					क्रमागत					 :
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					वि० [सं० क्रम-आगत, तृ० त०] १. ठीक क्रम या बारी से आया हुआ। २. परंपरागत। ३. जो क्रम-क्रम से होता आ रहा हो। और आगे भी इसी प्रकार कुछ समय तक होने को हो। (कन्टिन्यूड)।				 | 
			
			
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					क्रमानुकूल					 :
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					क्रि० वि० [सं० क्रम-अनुकूल, ष० त०] १. जो किसी क्रम के अनुकूल या सिलसिले के मुताबित हो। सिलसिले वार। २. दे०‘क्रमात्’।				 | 
			
			
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					क्रमानुसार					 :
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					क्रि० वि० [सं० क्रम-अनुसार, ष० त०] क्रम-क्रम से। क्रमात्।				 | 
			
			
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					क्रमान्वय					 :
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					क्रि० वि० [सं० क्रम-अन्वय, ष० त०] एक-एक करके। सिलसिले से।				 | 
			
			
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					क्रमि					 :
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					पुं० [सं०√क्रम्+इन्] १. कीड़ा। कृमि। २. पेट में कीड़े पड़ने का रोग।				 | 
			
			
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					क्रमिक					 :
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					वि० [सं० क्रम+ठन्-इक] १. किसी क्रम से चलने या होनेवाला। क्रम-युक्त। जैसे—वंसानुक्रमिक। २. निश्चित क्रम के अनुसार लगातार एक-एक करके होनेवाला। एक के बाद एक आने या होनेवाला। ३. किसी एक के फलस्वरूप तुरंत उसके बाद होनेवाला। (कांन्सिक्यूटिव) ४. धीरे-धीरे या क्रम-क्रम से होनेवाला (ग्रैजुअल) ५. जिसमें उतार-चढ़ाव छोटाई-बड़ाई आदि का बना या लगा हुआ। (ग्रेजुएटेड) जैसे—वेतन का क्रमिक मान।				 | 
			
			
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					क्रमु (क)					 :
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					पुं० [सं० √क्रम+उण्-कन्] १. सुपारी का वृक्ष। २. शहतूत का पेड़। ३. नागरमोथा।				 | 
			
			
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					क्रमुकी					 :
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					स्त्री० [सं० क्रमुख+ङीष्] सुपारी।				 | 
			
			
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					क्रमेल					 :
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					स्त्री० [सं० क्रम√एल् (गति)+अच्+कन्] १. ऊँट। २. शुतुर।				 | 
			
			
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					क्रमोद्वेग					 :
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					पुं० [क्रम-उद्वेग, ब० स०] बैल।				 | 
			
			
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					क्रम्य					 :
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					पुं० [सं० कर्म] कर्म। उदाहरण—अब मुझ क्रम्य सुफलियं दिकक सुफल रूप तपसीयं।—चंदबरदाई।				 | 
			
			
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					क्रम्यना					 :
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					स० [सं० क्रमण] १. लाँघना। उल्लंघन करना। २. आक्रमण करना। ३. चलना।				 | 
			
			
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