शब्द का अर्थ
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					क्व					 :
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					अव्य० [सं० किम्+अत्, कु० आदेश] कहाँ।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					क्वचित्					 :
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					अव्य० [द्व० स०] कदाचित् ही कोई। शायद ही कोई। बहुत कम वि० कहीं-कहीं या कभी-कभी परन्तु बहुत कम मिलने या होनेवाला। (रेअर) जैसे—क्वचित् प्रयोग।				 | 
			
			
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					क्वण					 :
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					पुं० [सं०√क्वण् (शब्द)+अप्] वीणा का शब्द। उदाहरण—सरस्वती से स्वयं आपका सुन वीणा-क्वण।—पंत। २. घुघँरुओं के बजने का शब्द। ३. झंकार।				 | 
			
			
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					क्वणन					 :
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					पुं० [सं०√क्वण+ल्युट-अन] १. बाजा बजने से होनेवाला शब्द। २. मिट्टी का छोटा बरतन।				 | 
			
			
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					क्वणित					 :
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					भू० कृ० [सं०√क्वण्+क्त] १. जो बजा या बजाया गया हो। २. ध्वनित। गूंजता हुआ। पुं० ध्वनि का शब्द।				 | 
			
			
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					क्वथ					 :
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					पुं० [सं०√क्वथ् (काढ़ा बनाना)+अच्]=क्वाथ।				 | 
			
			
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					क्वथन					 :
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					पुं० [सं०√क्वथ्+ल्युट-अन] तरल पदार्थ आग पर चढ़ा कर औटाने या काढ़ने का काम।				 | 
			
			
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					क्वथन-बिंदु					 :
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					पुं० =क्वथनांक।				 | 
			
			
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					क्वथनांक					 :
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					पुं० [सं० क्वथन-अंक, ष० त०] ताप की वह बढ़ी हुई अवस्था, जिसमें तरल पदार्थ उबलने या खौलने लगते हैं। क्वथन-बिंदु।। (ब्वायलिंग प्वाइण्ट)				 | 
			
			
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					क्वथित					 :
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					भू० कृ० [सं०√क्वथ्+क्त] औटा या औटाया हुआ।				 | 
			
			
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					क्वथिता					 :
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					स्त्री० [सं० क्वथित+टाप्] १. घी में भूनी हुई हल्दी को दूध में पकाकर बनाया हुआ रसा। (वैद्यक) २. शहद में बननेवाला एक प्रकार का आसव।				 | 
			
			
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					क्वंपु					 :
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					पुं० [सं० कु√अंग् (गति)+उण्]=कंगु। (अन्न)				 | 
			
			
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					क्वाँचर					 :
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					पुं० [सं० कुचर] काम करने के समय बैठ-बैठ जानेवाला बैल। वि० कमजोर। दुर्बल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					क्वाचित्क					 :
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					वि० [सं० क्वचित्+कञ्] क्वचित् होने या मिलनेवाला, विरल।				 | 
			
			
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					क्वाण					 :
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					पुं० [सं०√क्वण्+घञ्]=क्वणन।				 | 
			
			
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					क्वाथ					 :
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					पुं० [सं०√क्वथ्+घञ्] १. औषधियों को पानी में उबालकर उनका निकाला हुआ गाड़ा रस। काढ़ा। जोशाँदा। २. व्यसन। ३. कष्ट। क्लेश।				 | 
			
			
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					क्वाथोद्भव					 :
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					पुं० [सं० क्वाथ-उद्भव, ब० स०] रसौत।				 | 
			
			
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					क्वान					 :
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					पुं० =क्वणन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					क्वाँर					 :
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					पुं० =कुआर (महीना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					क्वार					 :
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					पुं० आश्विन मास। पुं० वि०=कुमार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					क्वारछल					 :
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					पुं० [सं० कुमार, हिं० क्वारा+छल] क्वारापन। मुहावरा—(बालिका या युवती का) क्वारछल उतरना=प्रथम समागम करके कौमार्य भंग करना।				 | 
			
			
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					क्वारपत					 :
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					पुं० =क्वारछल।				 | 
			
			
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					क्वारपन					 :
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					पुं० [हिं० क्वारा+पन (प्रत्यय)] क्वाँरे या अविवाहित होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					क्वाँरा					 :
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					वि० [सं० कुमार, पा० कुमारी] [स्त्री० क्वाँरी] [भाव० क्वारापन] जिसका विवाह न हुआ हो अथवा जिसने विवाह न किया हो कुआँरा। कुमार।				 | 
			
			
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					क्वारा					 :
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					वि० [सं० कुमार] [स्त्री० क्वारी] जिसका विवाह न हुआ हो अथवा जिसने विवाह न किया हो। अविवाहित।				 | 
			
			
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					क्वारापन					 :
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					पुं० [हिं० क्वारा+पन] क्वारे होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					क्वासि					 :
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					पद [सं० क्व-असि, दीर्घ संधि] तू किस स्थान पर या कहाँ है।				 | 
			
			
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					क्विनाइन					 :
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					पुं० =कुनैन। (ओषधि)।				 | 
			
			
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					क्वैला					 :
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					पुं० =कोयला।				 | 
			
			
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					क्वैलारी					 :
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					स्त्री०=कोइलरी।				 | 
			
			
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