शब्द का अर्थ
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					खम					 :
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					पुं० [अ०] १. टेढ़ापन। वक्रता। २. घुमाव या झुकाव। मुहावरा–खम खाना=(क) झुक या दबकर टेढ़ा, होना, दबना या मुड़ना। (ख) किसी के सामने झुकना या दबना। हारना। खम ठोकंना=लड़ने के लिए ताल ठोंकना। पद–खम ठोंककर=(क) लड़ने या सामने करने के लिए ताल ठोंककर। (ख) दृढ़ता या निश्चयपूर्वक। ३. गाने के समय लय में लोच या सौन्दर्य लाने के लिए उसके मोड़ पर क्षण भर के लिए रुकना। वि० झुका हुआ या टेढ़ा।				 | 
			
			
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					खमकना					 :
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					अ० [अनु०] खम खम शब्द होना।				 | 
			
			
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					खमकाना					 :
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					स० [अनु०] खम खम शब्द उत्पन्न करना।				 | 
			
			
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					खमणी					 :
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					वि०=क्षम (समर्थ)।				 | 
			
			
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					खमदम					 :
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					पुं० [अ० खम+दम] शक्ति और साहस का सूचक पुरुषार्थ या क्षमता।				 | 
			
			
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					खमदार					 :
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					वि० [फा०] १. झुका हुआ। टेढ़ा। २. घुँघराला (बाल)।				 | 
			
			
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					खमसना					 :
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					अ० [?] किसी में मिल जाना। मिश्रित होना। स० मिश्रित करना। मिलाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खमसा					 :
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					पुं० [अ० खमसः= पाँच संबंधी] १. एक प्रकार की गजल, जिसके प्रत्येक पद्यांश या बंद में पाँच-पाँच चरण होते हैं। २. संगीत में एक प्रकार का ताल जिसमें पाँच आघांत और तीन खाली होते हैं।				 | 
			
			
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					खमा					 :
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					स्त्री०=क्षमा।				 | 
			
			
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					खमाल					 :
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					पुं० [देश०] जंगली खजूर के हरे फल, जो चौपायों को खिलाये जाते हैं। पुं० (अ० हम्माल) जहाज पर माल लादने का काम। लड़ाई।				 | 
			
			
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					खमियाजा					 :
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					पुं० [फा० खमयाज] १. अँगड़ाई। २. प्राचीन काल का वह दंड जो अपराधी को सिकंजे में कसकर दिया जाता था। ३. दंड के रूप में होने वाला हुरे कामों अथवा भूल-चूक का फलभोग। मुहावरा–खमियाजा उठाना=भूल-चूक का दंड या फल पाना।				 | 
			
			
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					खमीदा					 :
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					वि० [फा० खमीद्रः] खम खाया हुआ। झुका हुआ। टेढ़ा।				 | 
			
			
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					खमीर					 :
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					पुं० [अ०] १. गूँधकर कुछ समय तक रखे हुए (गेहूँ, चावल, दाल आदि) आटे की वह स्थिति जब उससे सड़न के कारण कुछ खट्टापन आना आरंभ होता है। (ऐसे आटे की रोटी में एक विशिष्ट प्रकार का स्वाद आ जाता है।) मुहावरा–खमीर बिगड़ना=गूँधे हुए आटे का अधिक सड़ने के कारण बहुत खट्टा हो जाना। २. उक्त प्रकार से थोड़ा सड़ाकर तैयार किया हुआ आटा। ३.कटहल अनन्नास आदि को सड़ाकर तैयार किया हुआ वह पाँस जो पीने का तम्बाकू बनाते समय सुगंधि के लिए उसमें मिलाया जाता है। ४. किसी पदार्थ या व्यक्ति की मूल प्रवृति। जैसे–पाजीपन तो आपके खमीर में ही है।				 | 
			
			
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					खमीरा					 :
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					वि० [अ० खमीर] [स्त्री० खमीरी] १. (वस्तु) जिसका या जिसमें खमीर उठाया गया हो। जैसे–खमीरा आटा। २. इस प्रकार उठाये हुए खमीर से बनने वाला (पदार्थ)। जैसे– खमीरी रोटी। ३. जिसमें किसी प्रकार का खमीर मिलाया गया हो। जैसा–खमीरा तमाकू। पुं० चीनी या शीरे में पकाकर बनाया हुआ ओषधियों का अवलेह। जैसे–बनफशे का खमीरा।				 | 
			
			
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					खमीरी					 :
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					वि० दे० ‘खमीरा’।				 | 
			
			
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					खमो					 :
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					पुं० [देश०] एक प्रकार का छोटा सदाबहार पेड़।				 | 
			
			
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					खमोश					 :
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					वि० [भाव० खमोशी]=खामोश।				 | 
			
			
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					खम्माच					 :
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					स्त्री० [हिं० खंबावती] मालकोस राग की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					खम्माच कान्हड़ा					 :
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					पुं० [हिं० खम्माच+कान्हड़ा] संपूर्ण जाति का एक संकर राग।				 | 
			
			
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					खम्माच टोरी					 :
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					स्त्री० [हिं० खंभावती+टोरी] संपूर्ण जाति का एक रागिनी जो खंभावती और टोरी के मेल से बनती है।				 | 
			
			
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					खम्माची					 :
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					स्त्री०=खम्माच।				 | 
			
			
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