शब्द का अर्थ
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					खिर					 :
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					स्त्री० [देश०] करघे की ढरकी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					खिरका					 :
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					पुं० [अ० खिरकः] कंथा। गुदड़ी।				 | 
			
			
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					खिरकी					 :
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					स्त्री०=खिड़की।				 | 
			
			
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					खिरचा					 :
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					पुं०=खरका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खिरद					 :
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					स्त्री० [फा०] अक्ल। बुद्धि।				 | 
			
			
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					खिरदमंद					 :
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					वि० [फा०] बुद्धिमान्।				 | 
			
			
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					खिरनी					 :
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					स्त्री० [सं० क्षीरिणी] १. एक प्रकार का ऊँचा छतनार और सदाबहार पेड़। २. उक्त वृक्ष का छोटा, पीला मीठा फल।				 | 
			
			
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					खिरमन					 :
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					पुं० [फा०] १. खलिहान। २. काट कर रखी हुई फसल।				 | 
			
			
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					खिरवकी					 :
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					स्त्री० =खिड़की।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खिराज					 :
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					पुं० [अ०] १. राज्य द्वारा लिया जानेवाला कर। राजस्व। २. वह धन जो मध्य युग में बड़े राजा अपने अधीनस्थ मांडलिकों या छोटे राज्यों से लेते थे।				 | 
			
			
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					खिरिदना					 :
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					स० [सं० कीर्णन] १. सूप में अनाज रखकर उसे इस प्रकार हिलाना कि खराब दानें नीचे गिर जाएँ। २. खुरचना।				 | 
			
			
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					खिरिसा					 :
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					पुं० [?] एक प्रकार की मिठाई। उदाहरण–सोंठि लाइकै खिरिसा धरा।–जायसी।				 | 
			
			
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					खिरैंटी					 :
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					स्त्री० [सं० खरयष्टिका] बरियारा या बीज नामक पौधा। बला।				 | 
			
			
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					खिरौरा					 :
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					पुं० [हिं० खिरौरी] बड़ी खिरौरी।				 | 
			
			
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					खिरौरी					 :
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					स्त्री० [सं० खदिरवाटिका] कत्थे को उबाल या पकाकर तैयार की गई हुई गोल टिकिया। पुं० [हिं० खाड़+बड़ा] खाँड का लड्डू।				 | 
			
			
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