शब्द का अर्थ
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गड :
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पुं० [सं०√गड्(सींचना)+अच्] १. ओट। आड़। २. घेरा। मंडल। ३. चार-दीवारी। प्राचीर। ४. गड्ढा। ५. खाई। |
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गड़-लवण :
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पुं० [सं० गर्तलवण वा गडलवण] साँभर नामक। |
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गडक :
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पुं० [देश०] एक प्रकार की मछली। |
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गड़कना :
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अ० [अनु०] गड़-गड़ शब्द होना। अ० [अ० गर्क] १. डूबना। २. नष्ट होना। अ० =गरजना। |
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गड़काना :
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स० [अनु० गड़+क] गड़-गड़ शब्द उत्पन्न करना। गड़गड़ाना। स०= गरकाना (गरक करना या डुबाना)। |
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गडक्क :
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पुं० [अ० गर्क] १. डूबने या डुबाने से होनेवाला शब्द। २. पानी की उतनी गहराई जितने में आदमी डूब सकें। |
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गडंग :
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पुं० [हिं० गढ़+अंग] अस्त्र-शस्त्र, बारूद आदि रखने का स्थान। पुं० [सं०गर्व] १.घमंड। शेखी। २. आत्म-श्लाघा। |
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गड़गज :
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पुं० =गरगज। |
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गड़गड़ा :
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पुं० [गड़ गड़ शब्द से अनु०] लंबी नाली या सटकवाला हुक्का। |
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गड़गड़ाना :
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अ० [हिं० गड़गड़] १. गड़गड़ होना। जैसे–हुक्का गड़गड़ाना। २. गरजना। स० गड़-गड़ शब्द उत्पन्न करना। |
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गड़गड़ाहट :
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स्त्री० [हिं० गड़गड़ाना] गड़गड़ रूप में होने या गड़गड़ाने का शब्द। जैसे–गाड़ी या बादलों की गड़गड़ाहट। |
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गड़गड़ी :
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स्त्री० [हिं० गड़गड़] एक प्रकार की बड़ी डुग्गी या छोटा नगाड़ा। |
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गडंगिया :
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वि० [हिं० गडंग] १. डींग मारनेवाला। शेखीबाज। २. बहुत बढ़-बढ़कर बातें करनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गड़गूदड़ :
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पुं० [हिं० गूदड़] चिथड़ा। लत्ता। |
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गड़च्चा :
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पुं० ‘दे०’ गच्चा’। |
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गड़ंत :
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स्त्री० [हिं० गाड़ना] १. अभिचार या टोटके के लिए मंत्र आदि पढ़कर कोई चीज कहीं गाड़ने की क्रिया। २. उक्त प्रकार से गाड़ी जानेवाली चीज। |
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गड़दार :
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पुं० [हिं० गँडासा+फा० दार] १. वह व्यक्ति जो मतवाले हाथी को सँभालने के लिए हाथ में भाला लेकर उसके साथ-साथ चलता है। २. महावत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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गड़ना :
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अ० [सं० गर्त्त, प्रा० गड्ड-गड्ढा] १. हिन्दी गड़ना का अकर्मक रूप। २. जमीन के अंदर खोदे हुए गड्ढे में गाड़ा जाना। जैसे–तार या खंभा गड़ना, कब्र में मुरदा या लाश गड़ना। मुहावरा–गड़े मुरदा उखाड़ना=पुरानी या बीती हुई बातें फिर से उठाकर उनके संबंध में झगड़ना या तर्क-वितर्क या वाद-विवाद करना। ३. ऊपर से किसी प्रकार का दबाव पड़ने पर नीचेवाले तल में धँसना या प्रिविष्ट होना। मुहावरा–(लज्जा के मारे) जमीन में गड़ना=लज्जा के कारण ऐसी स्थिति में होना कि मुँह दिखाने या शिर उठाने का साहस न होता हो। जैसे–मैं तो उनकी बातें सुनकर लज्जा के मारे जमीन में गड़ गया। ४. किसी चीज का कुछ अंश जमीन के अन्दर इस प्रकार जमना या स्थापित होना कि वह चीज वहाँ स्थापित हो जाए। जैसे–किले पर झंडा गडऩा। ५. उक्त के आधार पर लाक्षणिक रूप में, कहीं प्रविष्ट होकर स्थापित या स्थित होना। उदाहरण–उर में माखन चोर गड़े। ६. किसी कड़ी या नुकीली चीज का शरीर के किसी अंग में कुछ छेद करते हुए उसेक अंदर धसना या पहुँचाना। चुभना। जैसे–पैर में काँटा या हाथ में सूई गड़ना। ७. किसी परकीय या बाह्य पदार्थ के शरीर में आने या होने के कारण उसके दबाव में किसी अंग में पीड़ा या कष्ट होना। जैसे–भोजन ना पचने के कारण पेट गड़ना, धूल का कण पड़ने के कारण आँख गड़ना। ८. लाक्षणिक रूप में, किसी अनुचित अनुपयुक्त या असोभन बात का मन में कुछ कसक या खटक उत्पन्न करना। खटकना। जैसे–इतने सुन्दर चित्रों के बीच में वह भद्दा चित्र तो हमें गड़ रहा था। ९. आँख या ध्यान के संबंध में, किसी विशिष्ट उद्देश्य से किसी चीज या बात पर स्थित या स्थिर होना। जमना। जैसे–(क) मेरी आँखें उसके चेहरे पर गड़ी थी। (ख) सबका ध्यान उसकी बातों पर गड़ा था। |
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गड़प :
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स्त्री० [अनु०] १. पानी, कीचड़ आदि में किसी चीज के सहसा गिरने या डूबने का शब्द। २. किसी वस्तु को बिना चबाये निकल जाने की क्रिया या भाव। पद-गड़प से-चटपट। तुरन्त। |
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गड़पंख :
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पुं० [सं० गरुड़+हिं० पंख] १. एक प्रकार की बड़ी चिड़िया। २. लड़कों का एक प्रकार का खेल, जिसमें वे किसी को तंग करने के लिए पक्षी की तरह बनाकर बैठातें हैं। |
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गड़पना :
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स० [अनु० गड़प] १. किसी वस्तु को बिना चबाये निगल जाना। जल्दी में खा या निगल जाना। २. किसी की चीज लेकर पचा जाना। अनुचित रूप से दबा बैठना। हड़पना। |
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गड़प्पा :
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पुं० [हिं० गाड़] १. बड़ा गड्ढा। २. पशुओं को फँसाने के लिए बनाया हुआ गड्ढा। ३. बहुत बड़े धोखे की जगह। |
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गड़बड़ :
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वि० [अनु०] १. जिसमें ठीक क्रम, परम्परा, व्यवस्था आदि का अभाव हो। विश्रृंखल। जैसे–तुम्हारा यह लेखा बहुत गड़बड़ हैं। २. बिना किसी क्रम, नियम या व्यवस्था के अथवा खराब या भद्दी तरह से आपस में मिला या मिलाया हुआ। जैसे–तुमने अलमारी की सब पुस्तकें गड़बड़ कर दीं। ३. बे-ठिकाने या बे-सिर पैर का। अंड-बंड। ऊट-पटाँग। जैसे–तुम्हारी इस तरह की गड़बड़ कारवाई यहाँ नहीं चलने पायगी। पुं० [स्त्री० गड़बड़ी, वि० गड़बड़िया] १. ऐसी अव्यवस्था जिसमें क्रम, नियमितता,व्यवस्था आदि का बहुत अधिक और खटकने वाला अभाव हो। जैसे–तुम जहाँ पहुँचते हो, वही कुछ न कुछ गड़बड़ करते हो। २. असावधानता, भूल, भ्रम आदि के कारण कुछ का कुछ कह देने की क्रिया या भाव। ३. उत्पात। उपद्रव। |
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गड़बड़-घोटाला :
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पुं० दे० ‘गड़बड़-झाला’। |
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गड़बड़-झाला :
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पुं० [अनु०] ऐसा काम, बात या स्थिति जिसमें बहुत अधिक गड़बड़ी हों। |
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गड़बड़ा :
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पुं०=गड़प्पा। |
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गड़बड़ाध्याय :
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पुं० दे० ‘गड़बड़-झाला’। |
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गड़बड़ाना :
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अ० [हिं० गड़बड़] १. गड़बड़ी, चक्कर या धोखे में पड़ना। २. क्रम आदि लगाने के समय भूल करना। भ्रम में पड़ना। ३. अस्त-व्यस्त या तितर-बितर होना। स० १. गड़बड़ी, चक्कर या धोखे में डालना। २. भ्रम में डालना। ३. क्रम आदि के विचार से आगे-पीछे या इधर-उधर करना। ४. अस्त-व्यस्त या तितर-बितर करना। |
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गड़बड़िया :
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वि० [हिं० गड़बड़] १. जो कोई काम ठीक ठिकाने अथवा व्यवस्थित रूप से न करता हो। क्रम, व्यवस्था आदि बिगाड़नेवाला। गड़बड़ करनेवाला। २.उपद्रव या दंगा करनेवाला। अशांति फैलानेवाला। |
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गड़बड़ी :
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स्त्री०=गड़बड़। |
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गड़रातवा :
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पुं० [देश० गड़रा-गाढ़ा+हिं० तवा] एक प्रकार का लोहा जो किसी समय मध्यभारत की खानों में निकलता था। |
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गड़रिया :
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पुं० दे० ‘गड़ेरिया’। |
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गड़री :
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पुं० =गड़ेरिया। |
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गड़रू :
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पुं० दे० ‘गुड़रू’। |
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गड़वा :
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पुं० १. =गाड़ा। २. =गड़ुआ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गड़वाँत :
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स्त्री० [हिं० गाड़ी+वाट]कच्ची सड़क पर बना हुआ गाड़ी के पहिए का चिन्ह्र। लीक। |
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गड़वात :
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स्त्री० [हिं० गाड़ना] १. कोई चीज जमीन में गाड़ने की क्रिया। २. गड्ढा खोदने का काम। ३. जमीन पर पड़ा हुआ गाड़ियों के पहिए का निशान। |
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गड़वाना :
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स० [हिं० गाड़ना का प्रे० रूप] गाड़ने का काम किसी से करवाना। गाड़ने में लगाना। स० [हिं० गड़ाना] गड़ाने का काम किसी दूसरे से कराना। |
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गड़हन :
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पुं० [हिं० जड़हन का अनु०?] एक प्रकार का धान। उदाहरण-गड़हन, जड़हन, बड़हन मिला।–जायसी। |
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गड़हा :
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पुं० [स्त्री० अल्पा० गड़ही]-गड्ढा। |
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गड़ा :
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पुं० [हिं० गड़] कटी हुई फसल के डंठलों का ढेर। गाँज। खरही। पुं० [गण-समूह] ढेर। राशि। पद-गड़ा-बँटाई-। (देखें)। |
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गड़ा-बँटाई :
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स्त्री० [हिं० गड़ा-गाँज+बँटाई] फसल की वह बँटाई जिसमें वह दाएँ जाने के पहले डंठलों आदि के सहित बाँटी जाती है। खाटकर रखी हुई फसल की बँटाई। |
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गड़ाकू :
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स्त्री० [सं० गल] एक प्रकार की मछली। |
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गड़ाना :
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स० [हिं० गड़ना] हिं० गड़ना का स० रूप। चुभाना। कोई नुकीली तथा कड़ी चीज किसी के अन्दर धँसाना। सं० दे० गड़वाना। |
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गड़ाप :
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पुं० [अनु०] जल में कोई भारी वस्तु फेकने या गिरने से होने वाला शब्द। |
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गड़ापा :
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पुं० =गड़प्पा। |
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गड़ायत :
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वि० [हिं० गड़ना] गड़ने, चुभने या धँसनेवाला। |
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गड़ारी :
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स्त्री० [सं० गंड-चिन्ह] १. मंडलाकार रेखा। गोल लकीर। वृत्त। २.घेरा। मंडल। जैसे-गड़ारीदार पाजामा। ३. वृत्ताकार चिन्ह्र या धारी। आड़ी-तिरछी रेखाएँ। जैसे–रुपए के आँवठ पर की गड़ारियाँ। ४. वह छोटा गोल पहिया जो लोहे के छड़ के चारों ओर घूमता है और जिस पर मोटी रस्सी लगाकर नीचे से बारी चीजें उठाई या ऊपर खींची जाती है। घिरनी। (पुली) जैसे–कूएँ की गड़ारी। ५. उक्त के दोनों किनारों के बीच की दबी हुई जगह जिसमें रस्सी रखी जाती हैं। ६. एक प्रकार की घास। |
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गड़ारीदार :
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वि० [हिं० गड़ारी+फा० दार] १. जिस पर गड़ारियाँ अर्थात् गंडे या धारियाँ पड़ी हो। जैसे–गड़ारीदार रुपया, गड़ारीदार कसीदा। २. जिसमें छोटे-छोटे घेर हों या पड़ते हों। जैसे–गड़ारीदार पाजामा-चौड़ी मोहरी का पाजामा। |
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गड़ावन :
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पुं० [संगड-लवण] एक प्रकार का नमक। |
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गड़ासा :
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पुं० =गँड़ासा। |
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गडि :
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पुं० [सं०√गड्(मुख का एक देश होना)+इन] १. बच्चा। बछड़ा। २. जल्दी न चलनेवाला या मट्ठर बैल। |
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गड़ियार :
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वि० =गरियार। |
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गड़िवारा :
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पुं० [स्त्री० गड़िवारिन] =गाड़ीवान। |
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गडु :
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पुं० [सं०√गड्+उन] १. रोग के रूप में शरीर के किसी अंग में उठी हुई गाँठ। जैसे-कूबड़, बतौरी आदि। २. गंड़-माला नामक रोग। वि० [हिं० गड़ना] गड़ने या चुभनेवाला। वि० =गुरु (भारी)। |
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गड़ुआ :
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पुं० [सं०गडु] [स्त्री० अल्पा.गड़ई वा गडुई] एक प्रकार का टोटी दार लोटा। |
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गडुई :
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स्त्री० [हिं० गड़ुआ का स्त्री अल्पा.रूप] पानी रखने का लोटा गड़ुआ। झारी। |
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गडुक :
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पुं० [सं० गडु√कै (प्रतीत होना)+क] टोंटीदार लोटा । गडुआ। |
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गडुर :
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पुं० दे० ‘गड़ुल’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० =गरुड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गडुल :
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पुं० [सं० गडु+ल] वह व्यक्ति जिसका कूबड़ निकला हो। वि० कुबड़ा। कुब्ज। |
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गडुलना :
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पुं०=गड़ोलना। |
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गडुवा :
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पुं० दे० ‘गडुआ’। |
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गडेर :
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पुं० [सं०√गड्+एरक्] बादल। मेघ। |
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गड़ेरिया :
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पुं० [सं० गड्डरिक, प्रा० गड्डरिअ] [स्त्री० गड़ेरिन] १. भेड़ें पालनेवाला एक प्रसिद्ध जाति। पद–गड़ेरियों पुराण=गड़ेरियों की सी या गँवारू बात-चीत और कथा-कहानियाँ। २. उक्त जाति का पुरुष। वह जो भेड़ें चराता या पालता हों। ३. रहस्य संप्रदाय में, ज्ञान जो मनुष्य को परमात्मा की ओर ले जाता है। |
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गड़ेरुआ :
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पुं० [सं० गण्डोल-ग्रास] चौपायों का एक रोग। |
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गड़ैता :
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पुं० [देश०] खैरे रंग का एक प्रकार का लंबा साँप जिसकी पीठ पर गड़ारियाँ होती हैं। |
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गड़ोना :
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पुं० [?] एक प्रकार का पान। गड़ौना। स०=गड़ाना (चुभाना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गडोल :
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पुं० [सं०√गड्+ओलच्] १. ग्रास। कौर। २. गुड़। |
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गडोलना :
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पुं० [हिं० गाड़ी+ओला,ओलना(प्रत्यय)] बच्चों के खेलने की छोटी गाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गड़ौना :
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पुं० [हिं० गाड़ना] एक प्रकार का पान जिसे पकाने के लिए जमीन में गाड़कर रखा जाता है। पुं० [हिं० गड़ना] गड़ने या चुभनेवाली चीज। जैसे–काँटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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गड्ड :
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पुं० [सं० गण] [स्त्री० गड्डी] १. एक ही तरह का आकार प्रकार की बहुत सी वस्तुओं का एक के ऊपर एक रखा हुआ समूह। गंज। थाक। जैसे–कागजों या पुस्तकों का गड्ड। २. मूल्य, लागत आदि के विचार से एक साथ रहनेवाली छोटी-बड़ी या कई तरह की चीजों का समूह। पद–गड्ड में-छोटी=बड़ी, महँगी-सस्ती या सब तरह की चीजें एक साथ और एक भाव लेने पर। पुं०=गड्ढा। |
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गड्डना :
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स०=गाड़ना। उदाहरण–को गड्डैं खोवेत्तिको, को विलसै करि भेव।–चन्द्रवरदाई। |
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गड्डबड्ड,गड्डमड्ड :
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वि० [हिं० गड्ड] १. अव्यवस्थित रूप से एक दूसरे में मिला हुआ। २. अंड-बंड या बेमेल। |
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गड्डर :
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पुं० [सं०√गड्+डर] [स्त्री० गड्डरी, वि० गड्डरिक] १. बेड़ा। मेष। २. भेड़। |
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गड्डरि(लि)का :
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स्त्री० [सं० गड्डरिक+टाप्] भेड़ों की पाँत। |
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समानार्थी शब्द-
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गड्डरिक :
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पुं० [सं० गड्डर+ठन्–इक] गड़ेरिया। वि० भेड़-संबंधी। भेड़ का। |
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गड्डरी :
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पुं० =गड़ेरिया। |
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गड्डलिका-प्रवाह :
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पुं० [ष० त० ] भेड़िया-धसान। ( दे०) |
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गड्डा :
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पुं० [हिं० गड्ड] १. किसी चीज की बड़ी गड्डी। गड्ड। २. आतिशबाजी में चरखियों आदि में लगाया जानेवाला पटाखा जो आतिशबाजी छूटने के समय बहुत जोर का शब्द करता है। पुं० [देश०] बड़ी बैलगाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० =गड्ढा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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गड्डाम :
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वि० [अं० गाँड+डेम इट] [स्त्री० गड्डामी] १. पाजी। लुच्चा। २. नीच। |
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गड्डी :
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स्त्री० [हिं० गड्ड का स्त्री] १. प्रायः एक ही आकार तथा प्रकार की वस्तुओं का क्रमशः ऊपर-तले रखा हुआ समूह। गंज। जैसे-नये नोटों की गड्डी, ताश की गड्डी, पान की गड्डी आदि। २. ढेर। समूह। गाँज। जैसे–आमों की गड्डी। |
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गड्डुक,गड्डूक :
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पुं० [सं० गडुक, पृषो० सिद्धि] गडुआ। (पात्र)। |
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गड्ढा :
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पुं० [सं० गर्त,प्रा० गड्ड] १. वह जमीन जो प्राकृतिक क्रिया या रूप से आस-पास या चारों ओर की जमीन से बहुत कुछ गहरी या नीची हो। जमीन में वह खाली स्थान जिसमें लंबाई, चौड़ाई और गहराई हो। जैसे–मिट्टी धँसने के कारण जमीन में जगह-जगह गंड्डे पड़ गये थे। २. उक्त प्रकार की वह जमीन जो खोदकर आस-पास की जमीन से गहरी और नीची की गई हो। जैसे–पानी जमा करने के लिए गड्ढा खोदना। ३. किसी तल में वह अंश जो आस-पास के तल से कुछ गहरा या नीचा हो। जैसे–गालों में या आँखों पर गड्ढे पड़ना। ४. ऐसी अवस्था या स्थिति जो किसी दृष्टि से विपत्ति लाने, संकट में डालने या हानि करनेवाली हो। जैसे–अभी क्या है। आगे चलकर इस काम में और भी बड़े बड़े गड्ढे मिलेगें। मुहावरा–(किसी के लिए) गड्ढा खोदना=ऐसी स्थिति उत्पन्न करना, जिससे कोई विपत्ति में पड़े या किसी को संकट का सामना करना पड़े। जैसे–जो दूसरों के लिए गड्डा खोदता है वह आप गड्डे में पड़ता है। गड्ढा पाटना या भरना=विपत्ति या संकट की जो स्थिति उत्पन्न हुई हो उसे दूर करके फिर पहलेवाली और ठीक स्थिति लाना। ५. लाक्षणिक रूप में उदर। पेट। जैसे–किसी न किसी तरह सबको अपना गड्ढा भरना ही पड़ता है। |
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समानार्थी शब्द-
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