शब्द का अर्थ
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गड़ा :
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पुं० [हिं० गड़] कटी हुई फसल के डंठलों का ढेर। गाँज। खरही। पुं० [गण-समूह] ढेर। राशि। पद-गड़ा-बँटाई-। (देखें)। |
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गड़ा-बँटाई :
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स्त्री० [हिं० गड़ा-गाँज+बँटाई] फसल की वह बँटाई जिसमें वह दाएँ जाने के पहले डंठलों आदि के सहित बाँटी जाती है। खाटकर रखी हुई फसल की बँटाई। |
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गड़ाकू :
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स्त्री० [सं० गल] एक प्रकार की मछली। |
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गड़ाना :
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स० [हिं० गड़ना] हिं० गड़ना का स० रूप। चुभाना। कोई नुकीली तथा कड़ी चीज किसी के अन्दर धँसाना। सं० दे० गड़वाना। |
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गड़ाप :
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पुं० [अनु०] जल में कोई भारी वस्तु फेकने या गिरने से होने वाला शब्द। |
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गड़ापा :
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पुं० =गड़प्पा। |
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गड़ायत :
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वि० [हिं० गड़ना] गड़ने, चुभने या धँसनेवाला। |
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गड़ारी :
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स्त्री० [सं० गंड-चिन्ह] १. मंडलाकार रेखा। गोल लकीर। वृत्त। २.घेरा। मंडल। जैसे-गड़ारीदार पाजामा। ३. वृत्ताकार चिन्ह्र या धारी। आड़ी-तिरछी रेखाएँ। जैसे–रुपए के आँवठ पर की गड़ारियाँ। ४. वह छोटा गोल पहिया जो लोहे के छड़ के चारों ओर घूमता है और जिस पर मोटी रस्सी लगाकर नीचे से बारी चीजें उठाई या ऊपर खींची जाती है। घिरनी। (पुली) जैसे–कूएँ की गड़ारी। ५. उक्त के दोनों किनारों के बीच की दबी हुई जगह जिसमें रस्सी रखी जाती हैं। ६. एक प्रकार की घास। |
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गड़ारीदार :
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वि० [हिं० गड़ारी+फा० दार] १. जिस पर गड़ारियाँ अर्थात् गंडे या धारियाँ पड़ी हो। जैसे–गड़ारीदार रुपया, गड़ारीदार कसीदा। २. जिसमें छोटे-छोटे घेर हों या पड़ते हों। जैसे–गड़ारीदार पाजामा-चौड़ी मोहरी का पाजामा। |
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गड़ावन :
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पुं० [संगड-लवण] एक प्रकार का नमक। |
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गड़ासा :
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पुं० =गँड़ासा। |
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