शब्द का अर्थ
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					गराँ					 :
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					वि० [फा०] १. भारी। वजनी। २. कठिन। ३. अप्रिय। नागवार। ४. महँगा।				 | 
			
			
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					गरा					 :
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					पुं०=गला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गराऊ					 :
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					पुं० [सं० गुरु, पुं० हिं० गुरु गरूअ] पुराना अथवा बूढ़ा भेड़ा। (गँड़ेरियों की बोली)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गराज					 :
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					पुं० [अं० गैरेज] मोटर गाड़ी या इसी तरह की और कोई सवारी रखने या रहने का घिरा हुआ स्थान। गिराज। स्त्री० =गरज (गर्जन)।				 | 
			
			
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					गराड़ी					 :
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					स्त्री०=गड़ारी।				 | 
			
			
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					गरांडील					 :
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					वि० [फा० गराया अं० ग्रांड?] १. जो लंब-तडंग तथा मोटा-ताजा हो। २. बहुत बड़ा या भारी।				 | 
			
			
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					गराना					 :
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					स० १. दे० गलाना। २. दे० गारना।				 | 
			
			
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					गरानी					 :
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					स्त्री० [फा०] १. भारीपन। गुरुता। २. महँगी। ३. भोजन न पचने के कारण होनेवाला पेट का भारीपन। स्त्री०=ग्लानि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गरामी					 :
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					वि० [फा०] १. बुजुर्ग। वृद्ध। २. प्रसिद्ध। ३. सम्मानित।				 | 
			
			
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					गरारा					 :
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					वि० [सं० गर्व, पुं० हिं० गारो+आर (प्रत्यय)] १. अभिमानी। घमंडी। २. प्रबल। बलवान्। ३. तेज। प्रचंड। पुं० [हिं० घेरा] १. पायजामें की ढीली मोहरी। जैसे–गरारेदार पायजामा। २. ढीली मोहरी का पायजामा। ३. खेमा तंबू आदि भरने का बड़ा थैला। पुं० [अ० गरार, अनु०] १. मुँह में पानी भरकर गर गर शब्द करके कुल्ली करना। २. चौपायों का एक रोग जिसमें उनके गले में घुर-घुर शब्द होता है।				 | 
			
			
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					गरारी					 :
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					स्त्री० दे० ‘गड़ारी’।				 | 
			
			
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					गराँव					 :
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					स्त्री० [हिं०+गर-गला] पशुओं के गले में बाँधी जानेवाली बटी हुई दोहरी रस्सी जिसके एक सिरे पर मुद्धी और दूसरे सिरे पर गाँठ होती है।				 | 
			
			
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					गराव					 :
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					पुं० [देश०] मध्य युग की एक प्रकार की बड़ी नाव।				 | 
			
			
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					गरावन					 :
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					पुं० =गड़ावन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गरावना					 :
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					स० १. गड़ाना। २. =गलाना।				 | 
			
			
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					गरावा					 :
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					पुं० [देश०] ऐसी भूमि जो अधिक उर्वर न हो। कम उपजाऊ जमीन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गरास					 :
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					पुं०=ग्रास।				 | 
			
			
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					गरासना					 :
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					स० [सं० ग्रास] १. निगलना। २. दे० ‘ग्रासना’ या ‘ग्रसना’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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