शब्द का अर्थ
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					गाह					 :
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					स्त्री० [सं० गाथा] गाथा ( दे०) उदाहरण–छंद प्रबंध कवित्त जति साटक गाह दुहत्थ।–चंदवरदाई। पुं० [सं०√गह्(गहना+घञ्)] गहनता। गहराई। पुं० [सं० ग्राह] १.ग्राहक। २. पकड़। ३. ग्राह। मगर। स्त्री० [फा०] १. कोई विशिष्ट स्थान। जैसे–बंदरगाह, शिकारगाह। २. कोई विशिष्ट काल।				 | 
			
			
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					गाहक					 :
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					पुं० [सं०√गाह (गोता लगाना)+ण्वुल्-अक] अवगाहन करनेवाला। पुं०-ग्राहक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) मुहावरा–(किसी के) जी या प्राण का गाहक होना=किसी की जान लेने पर उतारू होना।				 | 
			
			
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					गाहकताई					 :
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					स्त्री० [सं० ग्राहकता] १. ग्राहक होने की अवस्था या भाव। २. कदरदानी। गुण-ग्राहकता।				 | 
			
			
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					गाहकी					 :
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					स्त्री० [हिं० गाहक] १. गाहक। ग्राहक। २. गाहक के हाथ माल बेचने की क्रिया।				 | 
			
			
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					गाहटना					 :
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					स० [सं० गाह्] १. मथना। बिलोडना। २. नष्ट-भ्रष्ट करना। उदाहरण–रिण गाहटतैं राय खलाँ रिण।–प्रिथीराज।				 | 
			
			
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					गाहन					 :
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					पुं० [सं० ग्रहण] पकड़ने की क्रिया या भाव। ग्रहण। पुं० [सं०√गाह्+ल्युट्-अन] पानी में पैठकर गोता लगाना।				 | 
			
			
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					गाहना					 :
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					स० [सं० अवगाहन] १. पानी में पैठना या धँसना। २. पानी में गोता लगाकर थाह लेना। ३. किसी विषय या बात की गहराई की थाह लेना। अवगाहन करना। ४. जल आदि को क्षुब्ध करना। आलोड़न करना। ५. अनाज के डंठलों को डंडे से पीसकर उनके दाने गिराना या झाड़ना। उदाहरण–चैत काटा और गाहा नहीं कि भाँवर पड़वा दूँगा।–वृन्दावनलाल। ६. खेत में हेगा या पाटा चलाना। ७. चलते हुए चक्कर चलाना या दूर तक जाना। ८. कुछ ढूँढते के लिए इधर-उधर दौड़ना-धूपना और परेशान होना। ९. जहाज की दरारों में सन आदि भरना। काल-पट्टी करना। (लश०) १॰. व्यवस्था बिगाड़ना। गड़बड़ा देना।				 | 
			
			
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					गाहा					 :
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					स्त्री० [सं० गाथा, प्रा० गाहा] १. किसी प्रकार का कथात्मक चरित्र वर्णन। वृत्तान्त। २. आर्या छंद का दूसरा नाम।				 | 
			
			
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					गाहिता(तृ)					 :
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					वि० [सं०√गाह्+तृच्] १. गोता लगाने या स्नान करनेवाला। २. गाहन करनेवाला।				 | 
			
			
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					गाहिनी					 :
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					स्त्री० [सं०√गाह्+णिनि-ङीप्] एक प्रकार का विषम वृत्त या छंद जिसके चारों चरणों में क्रम से २२, २॰, १८ और १२ मात्राएँ होती हैं। यह सिंहनी छंद का बिलकुल उलटा होता है।				 | 
			
			
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					गाही					 :
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					स्त्री० [हिं० गहना-ग्रहण] वस्तुएँ (विशेषतः फल आदि) पाँच पाँच के समूहों में बाँटकर गिनने का एक मान। जैसे-१॰ गाही (अर्थात् ५॰) आम। पद-गाही के गाही=बहुत अधिक।				 | 
			
			
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					गाहू					 :
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					स्त्री०=उपगीति (छन्द)।				 | 
			
			
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					गाहे-बगाहे					 :
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					क्रि० वि० [फा०] १. बीच बीच में कुछ स्थानों पर। इधर-उधर। २. बीच बीच में। थोड़े थोड़े समय पर। कभी कभी।				 | 
			
			
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