शब्द का अर्थ
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घृत :
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पुं० [सं०√घृ+क्त] १. मक्खन को तपाकर तैयार किया जानेवाला एक प्रसिद्ध खाद्य द्रव्य। घी। २. पानी। वि० तर किया या सींचा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
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घृत-कुमारी :
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स्त्री० [तृ० त०] घी-कुँवार। ग्वार-पाठा। |
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घृत-धारा :
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स्त्री० [ष० त०] १. घी की धारा। २. [घृत√धृ (धारण करना)+णिच्+अण्, उप० स० टाप्] पुराणानुसार कुशद्वीप की एक नदी। |
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घृत-पूर :
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पुं० [घृत√पूर् (पूर्ण करना)+अप्, उप० स०] घेवर नाम की मिठाई। |
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घृत-प्रमेह :
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पुं० [मध्य० स०] एक प्रकार का प्रमेह जिसमें मूत्र घी के समान चिकना और गाढ़ा होता है। |
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घृताची :
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स्त्री० [सं० घृत√अंच् (गति)+क्विप्, ङीप्] १. स्वर्ग की एक अप्सरा। २. यज्ञ में आहुति देने का स्रुवा। |
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घृतान्न :
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पुं० [घृत-अन्न, मध्य० स०] १. घी में पकाया या तला हुआ अन्न या खाद्य पदार्थ। २. [ब० स० ] अग्नि। |
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घृतार्चि(स्) :
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पुं० [घृत-अर्चिस्, ब० स०] अग्नि। |
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घृती(तिन्) :
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वि० [सं० घृत+इनि] जिसमें घी पड़ा हो। |
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घृतोद :
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पुं० [घृत-उदक, ब० स०, उद आदेश] घी का समुद्र। (पुराण) |
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