शब्द का अर्थ
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घोट :
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पुं० [सं० घोटक] १. घोड़ा। २. ऐसा पुरुष, जिसमें घोड़े की सी शक्ति हो। उदाहरण– काय दहेसइ पोयणी, काय कुँवारा घोट।–ढोला मारु। पुं० [हिं० घोटना] घोटने की क्रिया या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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घोटक :
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पुं० [सं०√घुट् (लौटना)+ण्वुल्-अक] घोड़ा। अश्व। |
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घोटकारि :
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पुं० [घोटक-अरि, ष० त०] भैंसा। |
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घोटना :
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स० [सं० घृष्ट√घृष्, घट्ट; उ० घोटिबा; पं० घोटणा; सिं० घोटणू, मरा० घोटणें] १. किसी कड़ी वस्तु को किसी दूसरी पर वस्तु पर इस प्रकार मलना या रगड़ना कि वह चमकीली या चिकनी हो जाय। जैसे–कपड़ा या दीवार घोटना। २. पत्थर, लकड़ी लोहे आदि के किसी उपरकरण से किसी वस्तु को इस प्रकार दबाना या रगड़ना कि वह चूर-चूर या बहुत महीन हो जाय। जैसे–भाँग घोटना, मोती घोटना। ३. किसी का गला इतने जोर से दबाना कि वह मर जाय या उसका दम घुटने अर्थात् रुकने लगे। ४. कुछ सीखने में किसी बात का अभ्यास या मश्क करना। जैसे–पटिया पर अक्षर घोटना। ५. मुँह जबानी याद करना। जैसे–पाठ घोटना। ६. उस्तरे, आदि से बाल साफ करना। जैसे–दाढ़ी घोटना। पुं० [सं० घोटनी] १. वह वस्तु जिससे कोई चीज घोटी जाय। घोटने का उपकरण। २. लकड़ी का वह कुंदा जो जमीन में कुछ गड़ा रहता है और जिस पर रखकर रँगे कपड़े घोटे जाते हैं। (रँगरेज)। |
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घोटवाना :
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स० [हिं० घोटना का प्रे०] रगड़वाना। घोटकर। चिकना कराना। घोटने का काम दूसरे से कराना। किसी को कुछ घोटने में प्रवृत्त करना। (दे० ‘घोटना’)। |
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घोटा :
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पुं० [हिं० घोटना] १. घोटने, पीसने अथवा रगड़ने की क्रिया या भाव। २. पत्थर, लकड़ी, लोहे आदि का वह उपकरण जिससे कोई चीज घोटने का काम किया जाय। (बर्निशर) ३. रँगरेजों का एक उपकरण जिसे वह रंगे हुए कपड़ों पर रगड़ते है जिससे कपड़े चमकीले हो जाते है। ४. घुटा हुआ चमकीला कपड़ा। ५. पाठ आदि मुँह जबानी याद करने के लिए उसे बार-बार कहने या पढ़ने का काम। जैसे–पाठशाला में लड़के घोटा लगाते हैं। ६. बाँस आदि का वह चोंगा जिसमें घोंड़ों, बैलों आदि को औषधि पिलाई जाती है। ७. नगजड़ियों का एक औजार जिससे वे डाँक को चमकीला करते हैं। ८. छुरे से बाल बनाने या बनवाने की क्रिया या भाव। हजामत। क्रि० प्र०=फिरवाना। |
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घोटा-घोबा :
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पुं० [देश०] रेवंद-चीनी की जाति का एक पेड़ जिसमें से एक प्रकार की राल निकलती है जो दवा, रँगाई आदि के काम में आती है। |
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घोटाई :
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स्त्री० [हिं० घोटना+आई (प्रत्य)] १. घोटने की क्रिया, भाव या मजदूरी। (सभी अर्थो में) २. चित्रकला में, पूरी तरह से चित्र अंकित हो जाने पर उसे शीशे पर उलटकर उसकी पीठ पर घोटे से रगड़ना जिससे चित्र में चमक आ जाय। |
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घोटाला :
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पुं० [मरा०] १. किसी काम या बात में होनेवाली बहुत बड़ी अव्यवस्था या गड़बड़ी। २. किसी कार्यालय, संस्था आदि के किसी अधिकारी, कर्मचारी द्वारा उसके हिसाब किताब में की हुई गड़बडी अथवा उसकी सामग्री, धन आदि का किया हुआ दुरुपयोग। मुहावरा–घोटाले में पड़ना=(क) किसी कार्य या बात का निपटारे या सुलझने की स्थिति में न होना। (ख) सामग्री,धन आदि का ऐसी स्थिति में होना कि उसका वापस मिलना बहुत कठिन हो। |
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घोटिका, घोटी :
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स्त्री० [सं० घोटी+कन्-टाप्,ह्रस्व] [√घुट्+अच्-ङीष्] घोड़ी। |
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घोटू :
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वि० [हिं० घोटना] १. घोटनेवाला। २. चारों ओर से कसकर दबाने वाला। जैसे–गल-घोटू नियम। पुं० १.=घोटा। २. =घुटना। |
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