शब्द का अर्थ
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					चंडा					 :
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					स्त्री० [सं० चंड+टाप्] १. उग्र स्वभाववाली स्त्री। २. तांत्रिकों की आठ नायिकाओं में से एक। ३. केवाँच। कौंछ। ४. चोर नामक गंध द्रव्य। ५. सफेद दूब। ६. सौंफ। ७. सोआ नाम का साग। ८. एक प्राचीन नदी।				 | 
			
			
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					चंडाई					 :
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					स्त्री० [सं० चंड=तेज] १. चंडता। २. शीघ्रता। जल्दी। ३. उतावली। ४. प्रबलता। तेजी। ५. अत्याचार। उपद्रव।				 | 
			
			
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					चंडात					 :
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					पुं० [सं० चंड√अत् (गति)+अण्. उप० स०] एक प्रकार की सुगंधित घास।				 | 
			
			
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					चंडातक					 :
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					पुं० [सं०√अत्+ण्वुल्-अक, चंडा-आतक, ष० त०] एक प्रकार की छोटी कुरती या चोली।				 | 
			
			
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					चंडाल					 :
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					वि० [सं०√चंड् (कोप)+आलञ्] [स्त्री० चंडालिन, चंडालिनी]=चांडाल। वि० बहुत ही निकृष्ट या नृशंस् कर्म करनेवाला। पुं० १. एक बहुत निकृष्ट या निम्न जाति जिसकी उत्पत्ति शूद्र पिता तथा ब्राह्मणी माता से मानी जाती है। २. उक्त जाति का पुरुष।				 | 
			
			
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					चंडाल-कंद					 :
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					पुं० [मध्य० स०] एक प्रकार का कंद जो कफ-पित्त नाशक तथा रक्त शोधक माना जाता है।				 | 
			
			
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					चंडाल-पक्षी (क्षिन्)					 :
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					पुं० [कर्म० स०] कौआ।				 | 
			
			
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					चंडाल-बाल					 :
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					पुं० [हिं० चंडाल+बाल] कुछ लोगों के माथे पर उगनेवाला वह कड़ा और मोटा बाल जो अशुभ फलदायक माना जाता है।				 | 
			
			
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					चंडाल-वल्लकी					 :
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					स्त्री०=चंडाल-वीणा।				 | 
			
			
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					चंडाल-वीणा					 :
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					स्त्री० [ष० त०] एक प्रकार का चिकारा या तँबूरा।				 | 
			
			
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					चंडालता					 :
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					स्त्री० [सं० चंडाल+तल्-टाप्] चंडाल या चांडाल होने की अवस्था, गुण या भाव।				 | 
			
			
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					चंडालत्व					 :
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					पुं० [सं० चंडाल+त्व]=चंडालता।				 | 
			
			
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					चंडालिका					 :
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					स्त्री० [सं० चंडाल+ठन्-इक,टाप्] १.दुर्गा। २. चंडालवीणा। ३. एक प्रकार का वृक्ष जिसकी पत्तियाँ दवा के काम आती है।				 | 
			
			
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					चंडालिनी					 :
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					पुं० [सं० चंडाल+इनि-ङीष्] १.चंडाल वर्ण की स्त्री। २. बहुत ही दुष्ट और निकृष्ट स्वभाववाली स्त्री। ३. वह दोहा जिसके आरंभ में जगण पड़ा हो (अशुभ)				 | 
			
			
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					चंडावल					 :
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					पुं० [हिं० चंड+अवलि] १. सेना के पीछे का भाग। पीछे रहनेवाले सिपाही। ‘हरावल’ का विपर्याय। २. बहुत बड़ा योद्धा या वीर। ३. पहरेदार। संतरी।				 | 
			
			
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					चंडांशु					 :
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					पुं० [चंड अशु, ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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					चँडासा					 :
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					पुं० [हिं० चाँड़=जल्दी+आसा (प्रत्यय)] किसी काम के लिए मचाई जाने वाली जल्दी। मुहावरा–चँडासा चढ़ाना=(क) बहुत जल्दी मचाना। (ख) कोई ऐसा काम या युक्ति करना जिससे किसी को विवश होकर कोई काम जल्दी करना पड़े।				 | 
			
			
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					चंडाह					 :
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					पुं० [देश०] गाढ़े की तरह का एक मोटा कपड़ा।				 | 
			
			
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