शब्द का अर्थ
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चातुर्भद्र(क) :
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पुं० [सं० चतुर्भद्र+अण्] १. चारों पदार्थ, यथा-अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष। २. वैद्यक में ये चार ओषधियाँ-नागर मोथा, पीपल (पिप्पली) अतीस और काकड़ासिंगी। कोई-कोई चक्रदत्त के अनुसार इन चार जीवों को भी चातुर्भद्र कहते हैं–जायफल, पुष्कर, मूल, काकड़ा सिंगी और पीपल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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