शब्द का अर्थ
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चिल्ला :
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पुं० [फा० चिल्लः] १. किसी विशिष्ट अवसर पर या किसी विशेष उद्देश्य की सिद्धि के लिए नियत किये हुए ४॰ दिन जिसमें बहुत सी बातों का बचाव और बहुत–से नियमों का पालन करना पड़ता है। जैसे–(क) प्रसूता के संबंध में प्रसव के दिन से ४॰ दिनों का समय। (ख) किसी की मृ्त्यु होने पर ४॰ दिनों तक मनाया जानेवाला शोक। (ग) व्रत आदि के पालन के लिए ४॰ दिनों का समय। मुहावरा–चिल्ला खींचना या बाँधना=४॰ दिनों तक धार्मिक दृष्टि से कुछ विशिष्ट प्रकार के व्रतों का आचरण या पालन करना। २, सौर धनुमास के अंतिम १५ दिनों और मकर मास के आरंभिक २५ दिनों का समय जिसमें बहुत कड़ी रसदी पड़ती है। पद-चिल्ले का जाड़ा यासरदी=बहुत कड़ा जाड़ा या तेज सरदी। पुं० [?] १. कमान या धनुष की डोरी। पतंचिका। क्रि० प्र० उतारना। चढ़ना। २. पगड़ी का वह पल्ला या सिरा जिस पर कलाबत्तू का काम बना हो। ३. एक प्रकार का जंगली पेड़। ४. चीला या उलटा नाम का पकवान। |
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समानार्थी शब्द-
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चिल्लाना :
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अ० [हिं चीत्कार] १. अधिक जोर से तीखे स्वर में मुँह से कोई शब्द बार-बार कहना। जैसे—वह पगला दिन भर गालियों में राम राम चिल्लाता फिरता है। २. किसी का ध्यान आकृष्ट करने के लिए गलाफाड़ कर कुछ कहना। जैसे—इस मिथ्या दोष के लगाये जाने पर वह चिल्लाकर बोल उठे। अस्पष्ट तथा कर्णकटु शब्द या ध्वनि करना। शोर या हल्ला करना। जैसे—गली के कुत्ते चिल्ला रहे थे। |
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चिल्लाभ :
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पुं० [सं० चिल्ला-आ√भा (प्रतीत होना)+क] १. छोटी-छोटी चोरियाँ करनेवाला व्यक्ति। २. गिरहकट। |
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चिल्लाहट :
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स्त्री० [हिं० चिल्लाना] १. चिल्लाने की क्रिया या भाव। ऊँचे तथा अस्पष्ट शब्दों में किया हुआ उच्चारण। २. शोर-गुल। हो-हल्ला। क्रि० प्र०—मचना।—मचाना। |
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