शब्द का अर्थ
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					चुआ					 :
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					पुं० [हिं० चौआ=चौपाया] चार पैरोंवाला पशु। चौपाया। पुं०[?] १. हड्डी की नली के अन्दर का गाढ़ा लसीला पदार्थ। गूदा। मज्जा। २. एक प्रकार का पहा़ड़ी गेहूँ। ३. दे० ‘चौआ’।				 | 
			
			
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					चुआई					 :
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					स्त्री० [हिं० चुआना] १. चुआने या टपकाने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. गौ-भैस आदि दुहने या दुहाने का काम या पारिश्रमिक।				 | 
			
			
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					चुआक					 :
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					पुं० [हिं० चूना=टपकना] वह छेद जिसमें से पानी चूता (अथवा जहाज के अन्दर आता) हो। (लश०)।				 | 
			
			
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					चुआना					 :
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					स० [हिं० चूनाटपकना] १. किसी तरल पदार्थ को चूने या टपकने में प्रवृत्त करना। बूँद-बूँद गिराना या टपकाना। २. भभके आदि की सहायता से अरक, आसव आदि तैयार करना। जैसे–शराब चुआना। ३. अच्छी तरह परिष्कृत करके संयम और सावधानी से थोड़ा-थोड़ा प्रस्तुत करना या किसी के सामने लाना। उदाहरण–वेष सु बनाई सुचि बचन कहै चुआइ जाई तौन जरनि धरनि धन धाम की।–तुलसी। स० दे० ‘दुहाना’।				 | 
			
			
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					चुआब					 :
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					स्त्री०=चुआन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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