शब्द का अर्थ
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					जंजाल					 :
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					पुं० [हिं० जग+जाल] [वि० जंजालिया] १. सांसारिक व्यापार जिसमें मनुष्य फँसा रहता है। मनुष्य को ईश्वर या भगवत् भजन से विमुख करने तथा उसका ध्यान अपनी ओर लगाये रखनेवाली बात। माया। २. प्रपंच। झंझट। बखेड़ा। ३. उलझन। ४. पानी का भँवर। ५. पुराने ढंग की एक प्रकार की पलीतेदार बड़ी बंदूक। ६. चौड़े मुँहवाली एक प्रकार की पुरानी चाल की तोप। ७. मछलियाँ पकड़ने का बड़ा जाल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					जंजालिया					 :
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					वि० [हिं० जंजाल+इया (प्रत्य)]=जंजाली।				 | 
			
			
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					जंजाली					 :
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					वि० [हिं० जंजाल+ई (प्रत्यय)] १. जो जंजाल में फँसा हो। सांसारिक बंधनों में पड़ा हुआ। २. झगडा-बखेड़ा करनेवाला। स्त्री० [देश०] वह रस्सी और घिरनी जिससे नावों का पाल चढ़ाया और उतारा जाता है।				 | 
			
			
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