शब्द का अर्थ
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					जगत्					 :
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					वि० [सं०√गम् (जाना)√ क्विप्, द्वित्व, तुगागम] १. जागता हुआ। चेतन। २. जो चलता-फिरता हो। पुं० १. पृथ्वी का वह अंश या भाग जिसमें जीव या प्राणी चलते-फिरते या रहते हों। चेतन सृष्टि। २. किसी विशिष्ट प्रकार के कार्य-क्षेत्र अथवा उसमें रहनेवाले जीवों, पिंड़ों आदि का वर्ग या समूह। जैसे–नारी जगत् और जगत् हिन्दी जगत आदि। ३. इस पृथ्वी के निवासी। जैसे–जगत् तो मेरी हँसी उड़ाने पर तुला हुआ है। ४. संसार। दुनिया। जैसे–यह जगत् और उसके सब जंगल जंजाल झूठे हैं।				 | 
			
			
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					जगत्					 :
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					स्त्री० [सं० जगति=घर की कुरसी] कुएँ के ऊपर चारों ओर बना हुआ वह चबूतरा जिस पर खड़े होकर उसमें से पानी खींचा जाता है। पुं०=जगत्। (दे०)।				 | 
			
			
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					जगत्प्राण					 :
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					पुं० [जगत्-प्राण ष० त०] १. संसार को जीवित रखनेवाले तत्त्व। २. ईश्वर।				 | 
			
			
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					जगत्साक्षी(क्षिन्)					 :
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					पुं० [जगत्-साक्षिन्, ष० त०] सूर्य।				 | 
			
			
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					जगत्सेतु					 :
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					पुं० [जगत्-सेतु,ष० त०] परमेश्वर।				 | 
			
			
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