| शब्द का अर्थ | 
					
				| झामर					 : | पुं० [सं० झाम√रा (देना)+क] १. टेकुआ रगड़ने का सान। सिल्ली। २. पैजनी की तरह का पैर में पहनने का एक गहना। | 
			
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				| झामर-झूमर					 : | पुं० [अनु०] ऐसी चीज या बात जिसमें ऊपरी आडबंर, झंझटें या बखेड़े तो बहुत से हों परन्तु जिसमें तत्त्व या सार कुछ भी न हों। उदाहरण–दुनिया झामर-झूमर उलझी सत्तमान के बकरा लाये, कान पकड़ सिर काटा।–कबीर। | 
			
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				| झामरा					 : | वि० [हिं० झाँवला] १. झाँवे के रंग का। झाँवला। २. मलिन। उदाहरण–सामरि हे झामरि तोर देह। विद्यापति। | 
			
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