शब्द का अर्थ
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झूम :
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स्त्री० [हिं० झूमना] १. झूमने की अवस्था, क्रिया या भाव। उदाहरण–होती थी प्रकट एक झूम पद पद से।–मैथिलीशरण। २. ऊँघने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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झूमक :
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पुं० [हिं० झूमना] १. देहाती स्त्रियों का एक प्रकार का नाच जिसमें वे दल बाँधकर और झूम-झूमकर नाचती हैं। झुमकरा। झूमर। २. इस नृत्य के साथ गाये जाने वाले गीत। ३. विवाह आदि मांगलिक अवसरों पर गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत। ४. चावर, साड़ी आदि से टाँकी जानेवाली वह झालर जिसमें मोतियों आदि के छोटे-छोटे गुच्छे या झुमके लटकते रहते हैं। ५. झुमका। |
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झूमक-साड़ी :
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स्त्री० [हिं० झूमक+साड़ी] वह साड़ी जिसमें झूमक अर्थात् ऐसी झालर लगी हो जिसमें मोतियों के गुच्छे आदि टँके हुए हों। |
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झूमका :
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पुं० १=झूमक। २.=झुमका। |
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झूमड़ :
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पुं०=झूमर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झूमड़-झामड़ :
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पुं० [हिं० झूमड़] व्यर्थ का प्रपंच। आडंबर। |
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झूमड़ा :
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पुं०=झूमरा। |
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झूमना :
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अ० [सं० झंप=कूदना] १. किसी चीज के अगले भाग या ऊपरी सिरे का बार-बार या रह-रहकर आगे-पीछे और इधर-उधर झुकते और उठते या हिलते-डुलते रहना। कुछ झोंका खाते हुए कभी किसी ओर और कभी किसी ओर हलकी गति में होना। जैसे–हवा के झोंके से पेड़ों की डालियों का झूमना। २. नशे या नींद के कारण अथवा प्रसन्नता और मस्ती में आने पर किसी जीव या प्राणी के धड़ और सिर में उक्त प्रकार की हलकी गति होना। जैसे–(क) बहुत सुन्दर गीत, भजन या व्याख्यान सुनकर श्रोताओं का झूमना (ख) मस्ती में आकर साँप या हाथी का झूमना। ३. एक जगह इकट्ठे होकर कभी कुछ इधर और कभी कुछ उधर होते रहना। जैसे–आकाश में बादलों का झूमना। |
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झूमर :
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पुं० [हिं० झूमना] १. सिर पर पहनने का एक गहना जिसमें एक या कई लड़ों में आगे की ओर एक छोटी पटरी-सी बनी होती है जो सिर की गति-विधि के अनुसार इधर-उधर झूमती या लहराती रहती है। २. कान में पहनने का झुमका। ३. पूरब में, देहाती स्त्रियों का एक प्रकार का नाच जिसमें वे घेरा बांधकर झूमती हुई नाचती हैं। ४. उक्त नाच के साथ गाये जानेवाले गीत। ५. विवाह आदि मांगलिक अवसरों पर गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत जो प्रायः उक्त प्रकार से नाचते हुए गाये जाते हैं। ६. होली के दिनों में गाये जानेवाले झूमक नामक गीत। ७. एक ही तरह की बहुत सी चीजों का ऐसा समूह कि उनके कारण एक गोल घेरा-सा बन जाय। जमघटा। जैसे–नावों का झूमर। पुं०=झूमड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) क्रि० प्र०–डालना।–पड़ना। ८. एक प्रकार की मोंगरी जिससे गाड़ीवान आदि अपनी गाड़ियों की मरम्मत करते हैं। ९. काठ का एक प्रकार का खिलौना जिसमें एक गोले या डंडे के साथ छोटी-छोटी गोलियाँ बँधी रहती है। १॰. दे० ‘झूमरा’। (ताल)। |
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झूमरा :
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पुं० [हिं० झूमर] चौदह मात्राओं का एक ताल। |
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झूमरि :
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स्त्री=झूमर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झूमरी :
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स्त्री० [देश०] शालक राग के पाँच भेदों में से एक। |
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