शब्द का अर्थ
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					टस					 :
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					स्त्री० [अनु०] १. किसी भारी चीज के खिसकने का शब्द। २. जोर लगाये जाने पर भी भारी चीज के अपने स्थान से न हिलने की अवस्था या भाव। मुहावरा–टस से मस न होना= (क) भारी चीज का अपने स्थान से न हिलना। (ख) समझाने-बुझाने आदि पर भी अपनी अड़ या बात न छोड़ना।				 | 
			
			
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					टसक					 :
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					स्त्री० [हिं० टसकना] १. टकसने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. टीस।				 | 
			
			
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					टसकना					 :
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					अ० [सं० टस=ढकेलना+करण] १. अपने स्थान से थोड़ा खिसकना या हटना। २. निश्चिय, विचार आदि से थोड़ा इधर-उधर या विचलित होना। ३. रह-रहकर हलकी पीड़ा होना। टीस उठना। ४. फलों आदि का पककर गदराना [हिं० टसुआ=आँसू] धीरे-धीरे रोते हुए आँसू बहाना। बिसूरना।				 | 
			
			
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					टसकाना					 :
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					स० [हिं० टसकना] १. खिसकाना। हटाना। २. विचलित करना। ३. आँसू बहाना।				 | 
			
			
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					टसना					 :
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					अ० [अनु० टस] खींच पड़ने के कारण कपड़े आदि का फटना, मसकना या दरकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					टसर					 :
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					पुं० [सं० त्रसर] १. मटमैले पीले रंग का एक प्रकार का रेशम। २. उक्त रेशम का बुना हुआ कप़ड़ा।				 | 
			
			
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					टसरी					 :
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					वि० [हिं० टसर] टसर के रंग का। मटमैला और पीला। गरदी। पुं० उक्त प्रकार का रंग। गरदी।				 | 
			
			
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					टसुआ					 :
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					पुं० [हिं० अँसुआ (आँसू) का अनु०] अश्रु। आँसू। क्रि० प्र०–बहाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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