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डंडा  : पुं० [हिं० दंड] १. पेंड़ की शाखा, बाँस आदि का टुकड़ा, विशेषतः सीधा और लंबा सूखा तथा छीला और गढ़ा हुआ टुकड़ा। जैसे–गुल्ली के साथ खेलने का डंडा। विशेष–डंडे की लंबाई अपेक्षया अधिक होती है और मोटाई तथा चौड़ाई कम। मुहावरा–डंडा चलाना=डंडे से किसी पर आघात या प्रहार करना। डंडे के जोर से=डंड या बाहुबल के आधार पर। जैसे–आप तो डंडे के जोर से सब काम कराना चाहते हैं। २. कुछ विशिष्ट प्रकार के गढ़कर बनाये हुए उक्त प्रकार के छोटे टुकड़ों का जोड़ा जो प्रायः खेलों में एक दूसरे पर आघात करके बजाने के काम आता है। ३. उक्त प्रकार के लकड़ी के टुकड़ों को बजाते हुए खेले जानेवाले कई प्रकार का खेल। क्रि० प्र०–खेलना। मुहावरा–डंडे बजाते फिरना=व्यर्थ या यों ही इधर-उधर घूमते रहना। कुछ काम न करके केवल घूम-घूमकर समय बिताना। ४. लकड़ी की सीढ़ी में के छोटे-छोटे खंडो मे से हर एक जिस पर पैर रख कर ऊपर चढ़ा जाता है। ५. किसी पदार्थ का अपेक्षाकृत कम चौड़ा तथा कम मोटा परन्तु अधिक लंबा टुकड़ा। जैसे–साबुन का डंडा। पुं०=डाँड (सीमा पर की छोटी दीवार या मेंड़)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) क्रि० प्र०–उठाना।–खींचना।
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डंडा-डोली  : स्त्री० [हिं० डंडा+डोली]=डोली-डंडा (खेल)
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डंडा-बेड़ी  : स्त्री० [हिं०] बेड़ियाँ और उनके साथ रहनेवाला लोहे का डंडा जो विकट कैदियों को इस लिए पहनाया जाता है कि वे बैठ न सके।
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डंडा-मुर्री  : स्त्री० दे० ‘पेचक’ (चित्रकला की बेल)।
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डंडाल  : पुं० [हिं० डंडा] दुंदुभी। नगारा।
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