शब्द का अर्थ
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ढोल :
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पुं० [सं० ढक्का√ला (लेना)+क, पृषो० सिद्धि, मि० फा० दुहुल] १. एक प्रकार का लंबोत्तरा बाजा जिसके दोनों ओर चमड़ा मढ़ा होता है। मुहावरा–(किसी बात का) ढोल पीटना या बजाना=कोई बात खुले आम सबसे कहना फिरना। २. कान की वह झिल्ली या परदा जिसपर वायु का आघात पड़ने से शब्द का ज्ञान होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ढोल-ढमक्का :
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पुं० [हिं० ढोल+अनु० ढमक्का] १. ढोल और उसके साथ बजनेवाले कई तरह के बाजे। २. व्यर्थ का बहुत अधिक आडंबर। |
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ढोलक :
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स्त्री० [सं० ढोल+कन्] एक तरह का छोटा ढोल। ढोलकी। |
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ढोलकिया :
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पुं० [हिं० ढोलक] ढोल बजानेवाला व्यक्ति। |
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ढोलकी :
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स्त्री०=ढोलक। |
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ढोलन :
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पुं० [हिं० ढोला] १. दूल्हा। २. पति। |
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ढोलना :
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पुं० [हिं० ढोल] ढोलक के आकार का एक तरह का छोटा जंतर जिसे तागे में पिरोकर गले में पहना जाता है। स० १.=ढालना। २. ढोरना या डोलाना। |
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ढोलनी :
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स्त्री० [हिं० ढोलन] बच्चों का छोटा झूला। पालना। |
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ढोलवाई :
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स्त्री० दे० ढुलवाई। |
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ढोला :
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पुं० [हिं० ढोल] १. सड़ी हुई वनस्पतियों, शरीरों आदि में पड़नेवाला एक तरह का सफेद छोटा कीड़ा। २. हद या सीमा का निशाना। ३. देह। शरीर। पुं० [सं० दुर्लभ, प्रा० दुल्लह] १. वर। दूल्हा। २. पति। ३. प्रियतम। ४. विवाह के समय गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत। (पश्चिम) ५. कलवाहा वंश के राजा नल के पुत्र का नाम जिसका प्रेम माखणी पूगल के राजा पिंगल की कन्या मारू से हुआ था। इनकी प्रेम गाथा अति प्रसिद्ध है। |
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ढोलिनी :
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स्त्री० [हिं० ढोलिया का स्त्री० रूप] ढोल बजानेवाली। |
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ढोलिया :
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पुं० [हिं० ढोल] [स्त्री० ढोलिनी] ढोल बजानेवाला व्यक्ति। |
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ढोली :
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स्त्री० [हिं० ढोल] दो सौ पानों की गड्डी या थाक। स्त्री०=ठठोली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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