शब्द का अर्थ
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					तंतु					 :
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					पुं० [सं०√तंन् (विस्तार)+तुन्] १. ऊन, रेशम, सूत आदि का बटा हुआ डोरा। तागा। २. सूत की तरह के वे पतले लंबे रेशे जिनके योग से प्राणियों, वनस्पतियों आदि के भिन्न-भिन्न अंग बने होते हैं। ३. धातु का वह विशिष्ट प्रकार का बहुत ही महीन तार जो बिजली के लट्टुओं, निर्वात नलियों आदि में लगा रहता है और जो विद्युतधारा से तपकर चमकने और प्रकाश देने लगता है। (फिलामेन्ट) ४. पौधों का वह पतला अंग जो आस-पास की टहनियों आदि से अगकर चक्कर खाता हुआ उनका आश्रय लेता रहे। ५. मकड़ी का छाता पद–तंतु कीट।(दे०) ६. चमडे की बटी हुई डोरी। ताँत। ७. अष्ट-पाद जाति की मछली जो बहुत ही घातक और हिंसक होती है। ८. फैलाव। विस्तार। ९. बाल-बच्चे। औलाद। संतान। १॰. किसी प्रकार की परम्परा। निरंतर चलनेवाला क्रम। जैसे–वंश या यज्ञ का तंतु। पुं०-तंत्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तंतु-जाल					 :
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					पुं० [ष० त०] शरीर के अन्दर जाल के रूप में फैली हुई नसें। (वैद्यक)।				 | 
			
			
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					तंतु-नाग					 :
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					पुं० [उपमि० स०] मगर नामक जल-जंतु।				 | 
			
			
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					तंतु-नाभ					 :
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					पुं० [ब० स० अच्] मकड़ा।				 | 
			
			
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					तंतु-निर्यास					 :
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					पुं० [ब० स०] ताड़ का वृक्ष।				 | 
			
			
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					तंतु-पर्व(न्)					 :
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					पुं० [ब० स०] तागा अर्थात् राखी बाँधने का पर्व। रक्षा-बंधन।				 | 
			
			
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					तंतु-शाला					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] १. वह स्थान जहाँ तंतु बनाये जाते हों। २. वह स्थान जहाँ कपड़े बुने जाते हों।				 | 
			
			
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					तंतु-सार					 :
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					पुं० [ब० स०] सुपारी का पेड़।				 | 
			
			
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					तंतुक					 :
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					पुं० [सं० तंतु√कै (प्रतीत होना)+क] १. सरसों। २. रस्सी।				 | 
			
			
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					तंतुका					 :
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					स्त्री० [सं० तंतुक+टाप्] नाड़ी।				 | 
			
			
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					तंतुकाष्ठ					 :
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					पुं० [मध्य० स०] जुलाहों की एक प्रकार की लकड़ी या ब्रुश जिससे ताना साफ किया जाता है। तूली।				 | 
			
			
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					तंतुकी					 :
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					स्त्री० [सं० तंतुक+ङीष्] नाड़ी।				 | 
			
			
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					तंतुकीट					 :
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					पुं० [मध्य० स०] १. मकड़ी। २. रेशम का कीड़ा।				 | 
			
			
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					तंतुण, तंतुन					 :
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					पुं० [सं०√तंन्+तुनन्] मगर नामक जल-जंतु।				 | 
			
			
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					तंतुभ					 :
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					पुं० [सं० तंतु√भा (प्रकाशित होना)+क] १. सरसों। २. गौ का बच्चा। बछड़ा।				 | 
			
			
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					तंतुमत्					 :
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					पुं०=तंतुमान्।				 | 
			
			
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					तंतुमान्(मत्)					 :
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					पुं० [सं० तंतु+मतुप्] अग्नि। आग।				 | 
			
			
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					तंतुर					 :
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					पुं० [सं० तंतु+र] कमल की जड़। भसीड़। मृणाल।				 | 
			
			
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					तंतुल					 :
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					पुं० [सं० तंतु√लच्] मृणाल। कमलनाल।				 | 
			
			
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					तंतुवादक					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] वह व्यक्ति जो तार वाले बाजे (जैसे–सारंगी, सितार आदि) बजाता हो।				 | 
			
			
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					तंतुवाप					 :
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					पुं० [सं० तंतु√वप् (बुनना)+अण्] दे० ‘तंतुवाक्य’।				 | 
			
			
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					तंतुवाय					 :
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					पुं० [सं० तंतु√वेञ् (बुनना)+अण्] १. कपड़े बुननेवाला। जुलाहा। ताँती। बुनकर। २. मकड़ी।				 | 
			
			
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					तंतुविग्रह					 :
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					स्त्री० [ब० स०] केले का पेड़।				 | 
			
			
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