शब्द का अर्थ
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					तपा					 :
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					पुं० [हिं० तप] तपस्वी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तपाक					 :
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					पुं० [फा०] १. आवेश। जोश। २. व्यावहारिक क्षेत्र मे किसी के प्रति दिखाया जानेवाला उत्साह और प्रेम। जैसे–वे बहुत तपास से मुझसे मिले थे। मुहावरा–तपाक बदलना=आवेश में कार क्रोधपूर्वक व्यवहार करना। ३. तेजी। वेग।				 | 
			
			
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					तपात्यय					 :
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					पुं० [सं० तप-अत्यय, ब० स०] (ग्रीष्म ऋतु के अन्त में आनेवाला) वर्षाकाल। बरसात।				 | 
			
			
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					तपानल					 :
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					पुं० [सं० तपस्-अनल, मध्य० स०] १. तप की अग्नि अर्थात् तपस्या करने के फलस्वरूप प्राप्त होने वाला कष्ट। २. उक्त प्रकार से प्राप्त होनेवाला तेज।				 | 
			
			
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					तपाना					 :
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					स० [हिं० तपना] १. ताप से युक्त करके खूब गरम करना। जैसे–आग में रखकर लोहा तपाना। विशेष–कुछ विशिष्ट धातुओं को तपाकर उनकी शुद्धता भी परखी जाती है। जैसे–सोना या चांदी तपाना। २. आग पर रखकर पकाना या पिघलाना। जैसे–घी तपाना। ३. तप करने पर शरीर को अनेक प्रकार के कष्ट देना। ४. किसी को दुःखी या संतप्त करना।				 | 
			
			
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					तपारी					 :
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					पुं०=तपस्वी। उदाहरण–-दीर्घ तपारी देषि श्राप दीनो कुपि तामं।–चंदवरदाई।				 | 
			
			
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					तपाव					 :
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					पुं० [हिं० तपना+आव (प्रत्यय)०] १. तपने या तपे हुए होने की अवस्था या भाव। २. तपाने की क्रिया या भाव। ३. ताप। गरमी।				 | 
			
			
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					तपावंत					 :
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					पुं० [हिं० ताप+वंत (प्रत्यय)] तपस्वी।				 | 
			
			
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