शब्द का अर्थ
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					तर्पण					 :
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					पुं० [सं०√तृप् (संतुष्ट करना)+ल्युट-अन] [वि० तर्पणीय, तर्पित, तर्पी] १. तृप्त करने की क्रिया। २. हिदुओं का वह कर्मकांडी कृत्य जिसमें वे देवताओं, ऋषियों, पितरो आदि को तृप्त करने के लिए अंजुली या अरघे में जल भर कर देते हैं।				 | 
			
			
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					तर्पणी					 :
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					वि० [सं० तर्पण+ङीष्] तृप्ति देनेवाली। स्त्री० १. गंगा नदी। २. खिरनी का पेड़ और फल।				 | 
			
			
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					तर्पणी					 :
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					स्त्री० [सं०√तृप्+णिच्+णिनि-ङीष्] पद्यचारिणी। लता। स्थल कमलिनी। स्थलपद्म।				 | 
			
			
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					तर्पणीय					 :
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					वि० [सं०√तृप्+अनीयर] १. जिसका तर्पण करना आवश्यक या उचित हो। २. जिसका तर्पण किया जा सकता हो। ३. जिसे तृप्त करना आवश्यक हो।				 | 
			
			
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					तर्पणेच्छु					 :
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					वि० [सं० तर्पण-इच्छु, ष० त०] १. जिसे तर्पण करने की इच्छा हो। २. जो अपना तर्पण कराना चाहता हो। पुं० भीष्म।				 | 
			
			
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