शब्द का अर्थ
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					तष्ट					 :
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					वि० [सं०√तक्ष् (छीलना)+क्त] १. छीला हुआ। २. कूटा दला या पिसा हुआ। ३. पीटा हुआ।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तष्टा(ष्ट्र)					 :
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					पुं० [सं०√तक्ष्+तृच्] १. छीलनेवाला। २. काट-छाँट कर गढनेवाला। २. कूटने दलने या पीसनेवाला। पुं० १. विश्वकर्मा। २. एक आदित्य या सूर्य का नाम। पुं० [फा० तश्त] ताँबे की एक प्रकार की छोटी रिकाबी जिसमे पूजन की सामग्री रखते अथवा छोटी मूर्तियों को स्नान कराते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |